मोन्टाओबाँ, फ्राँसः वाटिकन अधिकारी ने वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया
वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के
अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूई तौराँ ने धर्मों के बीच वार्ताओं को अपरिहार्य बताया है। इस
सप्ताह रविवार एवं सोमवार को फ्राँस में धर्मों पर सम्पन्न दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय
सम्मेलन में उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान बहुसांस्कृतिक एवं बहु धार्मिक समाज
में धर्मों की भूमिका अहं है तथा धर्म चाहें तो भला कर सकते हैं तथा चाहें तो बुरा भी
कर सकते हैं।
कार्डिनल महोदय ने कहा कि धर्म सम्बन्धी सत्य के प्रचार के बजाय
जब स्वार्थ के लिये इसका दुरुपयोग किया जाता तथा धर्म के सत्य को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत
किया जाता है तब यह अतिवाद, धर्मान्धता एवं कभी कभी आतंकवाद को भी प्रश्रय देता है।
कार्डिनल
महोदय ने कहा कि यदि धर्म के नाम पर कोई इस्लामी दल आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होते
हैं तो वे सच्चे इस्लाम धर्मानुयायी नहीं हो सकते क्योंकि यह वह इस्लाम धर्म नहीं है
जिसका पालन विश्व के अधिकांश मुसलमान करते हैं।
ख्रीस्तीय धर्म में अज्ञान के
कारण उत्पन्न अनेक नकारात्मक धारणाओं की भी कार्डिनल महोदय ने निन्दा की। इन सबसे बचने
के लिये उन्होंने अपने धर्म का गहन अध्ययन करना नितान्त आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि
अन्यों के प्रति सम्मान एवं समझदारी तब ही उत्पन्न हो सकेगी जब व्यक्ति स्वयं अपने धर्म
को ठीक तरह से समझेगा। उन्होंने कहा कि उनका यह विश्वास दृढ़ है कि वार्ताओं द्वारा सबके
बीच सहिष्णुता एवं सम्मान का वातावरण निर्मित किया जा सकता तथा विचारों के आदान प्रदान
से प्रत्येक को समृद्ध बनाया जा सकता है।