चीन द्वारा भारत के नाम पर नकली दवाएँ निर्यात का भारत ने विरोध किया
नई दिल्लीः चीन, "मेड इन इन्डिया" लेबल लगाकर अफ्रीका में नकली दवाओं की बिक्री कर रहा
है जिसका भारत द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। नाइजीरिया की राष्ट्रीय खाद्य एवं औषधि
प्रशासन और नियंत्रण समिति (NAFDAC) ने मलेरिया विरोधी फार्मास्यूटिकल्स के बारे में
एक चेतावनी जारी की है जो वास्तव में चीन में बनाई गई है किन्तु जिनपर भारत का लेबल लगा
हुआ है। भारत ने नई दिल्ली में चीनी मिशन और चीन के विदेश व्यापार मंत्रालय को लिखकर
इस विषय में कड़ा विरोध प्रकट किया है।
नाइजीरिया की राजधानी आबूजा में महेश
सचदेव ने भारत के वाणिज्य सचिव जी.एस.के. पिल्लै को एक पत्र लिखकर कहा, "हालांकि उक्त
नकली दवा बनानेवाली तथा भारत के लेबल पर उसे बेचनेवाली एक चीनी कंपनी का मामला सामने
आया है तथापि इस सम्भावना से नकारा नहीं जा सकता कि ऐसी कई अन्य चीनी कम्पनियाँ हो सकती
हैं जो भारत के नाम पर नकली दवाओं की तस्करी कर रही हैं।" उन्होंने यह भी लिखा कि ऐसा
भी सम्भव है कि नाईजिरिया के अलावा अन्य अफ्रीकी देशों को भी चीनी कम्पनियाँ भारत के
नाम पर नकली दवाएँ बेच रही हैं।
पत्र में लिखा गया कि भारत का लेबल लगी नकली
विदेशी जेनरिक दवाएँ भारत के हितों का भारी नुकसान कर सकती हैं। यह भारत की छवि और उसके
वैध बाज़ार को क्षति पहुँचा सकती हैं और साथ ही जेनरिक एवं नकली दवाओं के बीच अन्तर को
खत्म कर सकती हैं जिसके लिये भारत विश्व व्यापार संगठन एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन में
अभियान चलाता रहा है।
भारत और चीन पर यह आरोप लगाया जाता रहा है वे अंतरराष्ट्रीय
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन कर अफ्रीका में नकली दवाएँ भेजते रहे हैं। चीन तथा भारत, दोनों
ने ही इन आरोपों का खण्डन किया है। आम तौर पर चीन एवं भारत की दवा कंपनियों द्वारा घाना,
दक्षिण अफ्रीका, आईवरी कोस्ट और पश्चिम अफ्रीका में जेनरिक दवाओं का निर्यात किया जाता
है।