जिनिवाः श्री लंका युद्ध में मानवाधिकार अतिक्रमण की जाँच हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ
का आह्वान
श्रीलंका में सेना तथा तमिल लड़ाकाओं के बीच संघर्ष में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच
किये जाने का संयुक्त राष्ट्र संघ ने आह्वान किया है। राष्ट्र संघीय मानवाधिकार उच्चायुक्त
ने कहा है कि मानवाधिकारों के अतिक्रमण की स्वतंत्र जाँच की जाये। जिनेवा में आयोजित
संयुक्त राष्ट्र संघीय मानवाधिकार समिति के आपातकालीन सत्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त
नवी पिल्लई ने कहा कि मानवाधिकार अतिक्रमण की जाँच के बाद ही श्रीलंका में स्थाई शांति
स्थापित की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि साक्ष्यों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ मानता
है कि युद्ध में संलग्न दोनों पक्षों ने सामान्य नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का अतिक्रमण
किया। उनका कहना था कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र जाँच से मानवाधिकार उल्लंघन की
घटनाओं का पता चल पाएगा तथा उल्लंघनकर्ताओं की ज़िम्मेदारी तय हो पाएगी। श्री लंका
की सरकार ने पुनर्निनिर्माण के लिए और अधिक आर्थिक सहायता की माँग की है किन्तु संयुक्त
राष्ट्र संघ की उक्त माँग को ठुकरा दिया है। मानवाधिकार सम्बन्धी अंतरराष्ट्रीय
संगठनों का आरोप है कि देश के गृह युद्ध के अंतिम चरण में तमिल लड़ाकाओं और श्रीलंका
सेना दोनों ने ही युद्ध अपराधों में संलग्न थे। उनका कहना था कि तमिल विद्रोहियों ने
आम लोगों को मानवकवच के रूप में इस्तेमाल किया जो अमानवीय एवं अत्यन्त क्रूर तरीका था।
दूसरी ओर श्रीलंका सेना की गोलाबारी से आम नागरिक बुरी तरह प्रभावित हुए।