बर्मा में प्रजातंत्र को समर्थन देनेवाली नेता आऊन सान सू ची पर सोमवार से एक सैन्य अदालत
में मुक़दमा चलाया जा रहा है। उनपर आरोप है कि उन्होंने नज़रबंदी की शर्तों का उल्लंघन
कर एक अमरीकी तैराक को अपने घर में रखा था। आरोप साबित होने पर उन्हें पाँच साल की सज़ा
हो सकती है। ग़ौरतलब है कि आऊन सान सू ची विगत 13 वर्षों से अपने ही घर में नज़रबंद
हैं। आऊन सान सू ची पर लगाये आरोपों का खण्डन करते हुए विश्व के अनेक देशों ने उन्हें
तुरन्त रिहा किये जाने का मांग की है। अमरीका ने उन्हें शीघ्रातिशीघ्र रिहा करने की मांग
की है जबकि ब्रितानी प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा कि बर्मा की सैन्य सरकार आऊन
सान सू ची की लोकप्रियता से भयभीत है इसलिये वह बहाना ढूँढ रही है ताकि उनकी नज़रबंदी
को और अधिक बढ़ाया जा सके। यूरोपीय संघ ने भी चिंता व्यक्त करते हुए इस मुकद्दमें को
अन्यायपूर्ण निरूपित किया है। बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि बर्मा का सैन्य
प्रशासन 2010 में होने वाले चुनावों के बाद तक आऊन सान सूची को हिरासत में रखना चाहता
है इसलिये उनपर यह आरोप मढ़ा गया।