मदाबा काथलिक विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु नींव के पत्थर पर आशिष देने से पूर्व संत
पापा का संदेश
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मदाबा काथलिक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए नींव के
पत्थर पर आशिष देने से पूर्व दिये गये सम्बोधन में कहा कि उन्हें बहुत खुशी है। किंगडम
ओफ जोरडन ने शिक्षा के स्तर में सुधार और विस्तार के लिए सही तौर पर प्राथमिकता प्रदान
किया है। रानी रानिया के इस नोबल मिशन में समर्पण अन्यों के लिए प्रेरणा है। शिक्षण कार्य
से जुड़े सब लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संत पापा ने ईसाई संस्थानों, काथलिक
और ओर्थोडोक्स चर्च के प्रयासों का विशेष उल्लेख किया। इसी पृष्टभूमि में काथलिक चर्च
ने जोरडन के अधिकारियों के सहयोग से देश के अन्य भागों में विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा
का प्रसार करने का प्रयास किया है। यह पहल अनेक परिवारों के आग्रह का जवाब है जो स्कूल
स्तर पर धार्मिक अधिकारियों द्वारा पाये प्रशिक्षण को विश्वविद्यालय स्तर तक बढ़ाने की
माँग कर रहे हैं। अच्छी शिक्षा देने हेतु इस नवीन पहल के प्रसारकों के साहसपूर्ण विश्वास
की वे सराहना करते हैं। यह पहल व्यक्तित्व विकास और क्षेत्र में शांति और प्रगति के लिए
मील का पत्थर साबित हो। संत पापा ने कामना की कि भावी पीढ़ी के विद्यार्थियों में क्षमता
और नोबल मनोवृत्ति का विकास हो जो उन्हें व्यापक समुदाय की सेवा तथा जीवन स्तर को ऊँचा
करने के लिए तैयार करे। ज्ञान का हस्तांतरण कर विद्यार्थियों में सत्य के लिए प्रेम को
स्थापित करे जो उच्चतर मूल्यों और निजी स्वतंत्रता के प्रति उनके आकर्षण को बढ़ाये तथा
बौद्धिक प्रशिक्षण उनके विश्लेषण करने की कुशलता को तीव्र करे ताकि अज्ञानता और पूर्वाग्रहों
को दूर करे। यह प्रक्रिया न केवल सत्य और संस्कृति के मूल्यों के प्रति समर्पण अपितु
समझदारी और वार्ता का स्थल हो। संत पापा ने यह कामना की कि जोर्डन और पड़ोसी क्षेत्रों
के सब विद्यार्थी उचित पेशेवर और नैतिक प्रशिक्षण के लिए स्वयं को समर्पित करें। विभिन्न
जातियों और धर्मों के लोगों के मध्य वे शांति निर्माता बनने के लिए बुलाये जाते हैं,
भिन्नताएँ विभाजन को नहीं लेकिन परस्पर समृद्धि को बढ़ावा दें।