2009-05-09 17:54:21

नबी मूसा के आदर में निर्मित प्राचीन गिरजाघर की भेंट के अवसर पर संत पापा का संदेश


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 9 मई को नबी मूसा के आदर में निर्मित प्राचीन गिरजाघर की भेंट की। उन्होंने इस अवसर पर दिये गये संदेश में कहा कि इस पवित्र स्थल में जो नबी मूसा की स्मृति में पावन है सबलोगों का वे अभिवादन करते हैं। यह उचित है कि वे अपनी तीर्थयात्रा इस पर्वत से आरम्भ कर रहे हैं जहाँ से मूसा ने दूर से ही प्रतिज्ञात देश को देखा था। नबूवती दर्शन ने रहस्यमय तरीके से मुक्ति की महान योजना का आलिंगन किया जिसे ईश्वर ने अपनी प्रजा के लिए तैयार किया था। यह यर्दन की घाटी थी जब समय पूरा होने पर जोन बपतिस्ता प्रभु का पथ तैयार करने आये। यर्दन नदी का जल था जिसमें येसु जोन बपतिस्ता से बपतिस्मा पाकर ईश्वर के परमपावन प्रिय पुत्र के रूप में प्रकट किये गये और पवित्र आत्मा द्वारा अभ्यंजित होने के बाद अपनी सार्वजनिक प्रेरिताई कार्य आरम्भ किये। यहाँ नेबो पर्वत की ऊँचाई पर नबी मूसा की स्मृति हमें अपनी आँखें ऊपर उठाने के लिए आमंत्रित करती है ताकि कृतज्ञतापूर्वक न केवल अतीत में ईश्वर के महान कार्यों को स्वीकार कर सकें लेकिन आशा और विश्वासपूर्वक भविष्य का ओर देखें। मूसा के समान हमें भी नाम लेकर बुलाया गया है और आमंत्रित किया गया है कि प्रतिदिन पाप और बुराई की दासता से निकलकर जीवन और स्वतंत्रता की और निर्गमन करें। बपतिस्मा के जल में हम पाप की दासता के निकलकर जीवन और आशा की और आगे बढ़े। मूसा ने पार्थिव तीर्थयात्रा के अंतिम समय में दूर से प्रतिज्ञात भूमि के दर्शन किये। उनका उदाहरण हमें स्मरण कराता है कि हम भी इतिहास में ईश्वरीय प्रजा के कालातीत तीर्थयात्री हैं। ईश्वर के सार्वभौमिक प्रेम और दया के सुसमाचार का साक्ष्य दें। ईसाई प्राचीन समय से ही ईश प्रजा के इतिहास से जुड़े स्थलों, येसु के जीवन और आरम्भिक कलीसिया के जीवन की घटनाओं से जुड़े स्थलों की तीर्थयात्रा पर आते रहे हैं। यह हमें चुनौती देती है कि विश्वास के वरदान की और अधिक सराहना करें। भाषा, जाति और संस्कृति की सीमाओं से परे सामुदायिकता में बढ़ें। पवित्र स्थलों की तीर्थयात्रा करने की प्राचीन परम्परा कलीसिया और यहूदी लोगों के मध्य अटूट बंधन का स्मरण कराते हैं। ख्रीस्तीयों और यहूदियों के मध्य पुर्नमिलन के पथ पर आनेवाली सब बाधाओं को शांति की सेवा में परस्पर सम्मान और सहयोग की भावना में दूर करें। इस पवित्र स्थल में जमा होकर अपनी आँखों और दिलों को ईश्वर की ओर उठायें।








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