2009-05-09 13:16:23

अम्मानः जॉर्डन के मुसलमान नेताओं एवं बुद्धिजीवियों से सन्त पापा बेनेडिक्ट की मुलाकात


मदाबा के काथलिक विश्वविद्यालय के नींव के पत्थर पर आशीष देने के उपरान्त शनिवार प्रातः सन्त पापा ने अम्मान के अल हुसैन बिन तलाल मस्जिद की भेंट कर देश की मुसलमान जनता के प्रति श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया।

इस अवसर पर जॉर्डन के मुसलमान नेताओं, बुद्धिजीवियों एवं कूटनीतिज्ञों को सम्बोधित शब्दों में सन्त पापा ने कहाः ........

इस वैभवपूर्ण प्रतिवेश में आप सब से मुलाकात करना मेरे लिये हर्ष का स्रोत है। मेरे स्वागत में, राजकुमार गाज़ी बिन मुहम्मद बिन तलाल द्वारा कहे गये उदार शब्दों के लिये मैं आभारी हूँ। जॉर्डन के सम्राट द्वारा अन्तरधार्मिक एवं अन्तरसांस्कृतिक वार्ताओं को प्रोत्साहित करने हेतु आरम्भ पहलें सम्पूर्ण जॉर्डन में सराही जाती हैं तथा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा व्यापक सम्मान प्राप्त करती हैं। इन पहलों के लिये मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

पूर्व सम्राट के नाम पर निर्मित अल हुसैन बिन तलाल मस्जिद वह भव्य आराधना स्थल है जो धरती की सतह के ओर छोर अनमोल रत्नों के सदृश चमकते रहते हैं। प्राचीन से लेकर आधुनिक और वैभवशाली से लेकर विनीत, वे सब के सब एक ही, दिव्य, ज्ञानातीतत्व एवं सर्वशक्तिमान की ओर इंगित करते हैं। शताब्दियों के अन्तराल में इन परमपावन स्थलों ने स्त्रियों एवं पुरुषों को मौन धारण करने, प्रार्थना करने, सर्वशक्तिमान की उपस्थिति को स्वीकार करने तथा सब मनुष्यों को ईश्वर द्वारा सृजित प्राणी मानने के लिये आकर्षित किया है।

इसीलिये कुछ लोगों का यह मत हमारी चिन्ता का कारण बना हुआ है कि धर्म एकता एवं मैत्री का निर्माता नहीं हो सकता। सच तो यह है कि कुछ लोग यहाँ तक दावा करते हैं कि धर्म विश्व में विभाजन उत्पन्न करता है इसलिये सार्वजनिक जीवन से इसे बिल्कुल अलग कर दिया जाना चाहिये। दुर्भाग्यवश, यह निश्चित्त रूप से कहा जा सकता है विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच तनावों को देखा गया है किन्तु यह भी नहीं भुलाना चाहिये कि प्रायः राजनैतिक स्वार्थ के लिये अथवा अपने विचार अन्यों पर थोपने के लिये धर्म का दुरुपयोग किया जाता है। वास्तव में धर्म का वैचारिक एवं कपटपूर्ण परिचालन ही समाज में तनाव और कभी कभी हिंसा का भी कारण बनता है। इस पृष्टभूमि में, जहाँ धर्म का विरोध करनेवाले लोग धर्म की आवाज़ को चुप कर अपनी धर्मविरोधी धारणाओं को बुलन्द करना चाहते हैं, यह ज़रूरी हो जाता है कि विश्वासी अपने धार्मिक सिद्धान्तों के प्रति निष्टावान बने रहें।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्मानुयायी एक साथ मिलकर उस सबकी खोज के लिये प्रेरित किये जाते हैं जो न्यायपूर्ण एवं सही है। अपने स्वार्थ से परे जाना तथा अन्यों को, विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों, नेताओं और सभी को सर्वजनकल्याण के लिये प्रोत्साहित करना हमारा दायित्व है। चूँकि हमारी समान मानव मर्यादा ही सार्वभौम मानवाधिकारों को जन्म देती है इसलिये धर्म, जाति अथवा सामाजिक भिन्नता के बावजूद प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष की प्रतिष्ठा का सम्मान अनिवार्य है। इस सन्दर्भ में, हमें यह याद रखना होगा कि धार्मिक स्वतंत्रता का विस्तार आराधना अर्चना के प्रश्न से परे जाता तथा सबके लिये, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के लिये, रोज़गार एवं नागर जीवन के अन्य क्षेत्रों में प्रवेश के अधिकार को भी शामिल करता है।"

अम्मान के अल हुसैन बिन तलाल मस्जिद की भेंट के बाद शनिवार सन्ध्या सन्त पापा सन्त जॉर्ज महागिरजाघर में जॉर्डन के काथलिक पुरोहितों, गुरुकुल छात्रों एवं धर्मसंघियों के साथ सान्ध्य वन्दना का पाठ कर अपना सन्देश देंगे।










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