2009-04-29 15:37:47

बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश


श्रोताओ, बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो

पूर्व और पश्चिम के आरम्भिक ख्रीस्तीय लेखकों पर अपनी धर्मशिक्षामाला में आज हम अपना ध्यान संत जरमानुस पर केन्द्रित करते हैं जो कुस्तुंतुनिया के धर्माध्यक्ष और प्राधिधर्माध्यक्ष थे और जिनका पर्व दिवस यूनानी चर्च में 12 मई को मनाया जाता है। सन 717 में जब कुस्तुंतुनिया, सारासीन सेना की घेराबंदी में था तो थ्योटोकस अर्थात् ईश्वर की माता मरियम की वंदनीय प्रतीक और पवित्र क्रूस के तर्बरूक के साथ संत जरमानुस ने शोभायात्रा को नेतृत्व किया। घेराबंदी उठा ली गयी। इससे उन्हें दृढ़ विश्वास हो गया कि ईश्वर ने लोगों की भक्ति का प्रत्युत्तर दिया है। इसके कुछ समय बाद सम्राट लियो तृतीय ने पवित्र प्रतीकों के प्रयोग करने के विरूद्ध अभियान आरम्भ किया और इन्हें मूर्तिपूजा का स्रोत बताया। जब जेरमानुस ने सन 730 में सार्वजनिक रूप से सम्राट का विरोध किया तो वे निर्वासित हुए तथा एक मठ में जीते हुए सेवानिवृत्त होने के लिए विवश हुए। बाद में यहाँ उनका निधन हो गया। संत जेरमानुस की स्मृति नहीं भुलाई गयी और नीस की द्वितीय महासभा में जिसने पवित्र प्रतीकों के प्रति भक्ति करने को पुर्नस्थापित किया उनके नाम को सम्मान प्रदान किया गया। जेरमानुस के लेख जो कलीसिया के प्रति गहन प्रेम में डूबे तथा ईश्वर की माँ के प्रति भक्ति से सराबोर हैं पूर्व और पश्चिम के विश्वासियों की धार्मिकता पर इनका व्यापक प्रभाव है। उन्होंने समारोही और सुंदर पूजनधर्मविधि का प्रसार किया। मरियावाद पर उनकी अंतदृष्टियाँ विख्यात हैं। कुँवारी माता मरियम की निद्रा और प्रस्तुति पर प्रवचनों में जेरमानुस मरियम के सदगुणों और उनके मिशन का गुणगान करते हैं। एक मूल पाठ जो उनके शरीर के अविनाशी होने के स्रोत को उनकी कुँवारी मातृत्व में देखता है इसे संत पापा पियुस बारहवें ने अपने प्रेरितिक संविधान मुनिफिचेनतिसिमुस देऊस में शामिल किया था। मेरी प्रार्थना है कि संत जेरमानुस की मध्यस्थता से कलीसिया के प्रति प्रेम और ईश्वर की माता मरियम के प्रति भक्ति में हमसब नवीकृत हो जायें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने इंगलैंड़ स्काटलैंड, आयरलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड , जापान, कनाडा और अमरीका से आये सब अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का अभिवादन किया और उनके लिए प्रभु के पास्काई आनन्द और शांति की कामना की। तदोपरांत संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।







All the contents on this site are copyrighted ©.