जिनिवा में नस्लवाद पर जारी पाँच दिवसीय विश्व सम्मेलन के दूसरे दिन संयुक्त राष्ट्र
संघ ने अन्तिम दस्तावेज़ को बचाने का पूरा प्रयास किया।
ग़ौरतलब है कि सोमवार
को ईरानी राष्ट्रपति अहमदीनेजाद के भड़काऊ भाषण के बाद कम से कम 30 यूरोपीय सदस्य सम्मेलन
भवन से बाहर चले गये थे। अहमदीनेजाद ने इसमें इसराएल के विरुद्ध टिप्पणी की थी जिसकी
संयुक्त राष्ट्र संघ एवं वाटिकन सहित अनेक यूरोपीय देशों ने कड़ी निन्दी की थी।
मंगलवार
को मानवाधिकार सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संघीय उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने मीडिया के समक्ष
स्पष्ट किया कि जो कुछ ईरानी राष्ट्रपति द्वारा कहा गया उसका सम्मेलन की विषय वस्तु से
कुछ लेना देना नहीं है इसलिये सम्मेलन के परिणामों को इससे किसी भी प्रकार प्रभावित नहीं
होना चाहिये। प्रतिभागियों से उन्होंने आग्रह किया कि वे सम्मेलन के मूलभाव पर अपना
ध्यान केन्द्रित रखें तथा इसे विफल नहीं होने दें।
सामान्य तौर पर विशेषज्ञों
का मानना है कि जिस नस्लवाद विरोधी दस्तावेज़ को अनुमोदन मिलना है उसका अहमदीनेजाद के
भाषण से कोई लेन देन नहीं है। दस्तावेज़ का प्रारूप स्पष्ट शब्दों में नस्ल एवं धर्म
पर आधारित असहिष्णुता की निन्दा करता है जिसमें इस्लामीभय, ईसाईभय, अरबी विरोधी एवं सामीवाद
विरोधी भावनाओं सभी का खण्डन किया गया है। इसके अतिरिक्त, प्रारूप के 66 वें पेरा में
ईरान सहित सभी सदस्य देशों को स्मरण दिलाया गया है कि "नाज़ियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार"
को कदापि न भुलाया जाये।