स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम परिसर में कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक
प्रासाद के प्रांगण में रविवार 19 अप्रैल को देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों के साथ
स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने अपने संदेश में
कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार को पास्का अठवारा समाप्त होता
है और आप सबको जो यहाँ उपस्थित हैं तथा रेडियो और टेलिविजन प्रसारण के माध्यम से जुड़े
हैं मैं पुनः पास्का की हार्दिक मंगलकामनाएँ देता हूँ। पुर्नजीवित येसु ख्रीस्त पर विश्वास
करने से आनेवाले इस खुशी के माहौल में मैं उन सबको गहन कृतज्ञ भाव में धन्यवाद कहना चाहता
हूँ और वास्तव में असंख्य लोग हैं जिन्होंने पास्का महोत्सव या 16 अप्रैल को मेरे जन्मदिवस
के लिए या फिर संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में मेरे निर्वाचन की वर्षगांठ जो
आज है के उपलक्ष्य में अपने स्नेह के चिह्न भेजना चाहा। विभिन्न प्रकार के स्नेह के इस
समन्वयन के लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। जैसा कि हाल ही में मैंने इस बात की
पुष्टि की थी कि मैं कदापि अकेलेपन का अनुभव नहीं करता हूँ। इस एक सप्ताह में पूजन धर्मविधि
एक दिवस बनाता है मैंने उस सामुदायिकता का अनुभव किया जो मेरे चारों ओर है और मुझे बनाये
रखता हैः-आध्यात्मिक सहदयता, प्रार्थना के द्वारा जरूरी पोषण पाती है और हजारों रूपों
में व्यक्त होती है। रोमी कार्यालय में मेरे सहयोगियों से लेकर पल्लियों तक जो भौगोलिक
रूप से सुदूर स्थित हैं हम काथलिक बनाते हैं और हमें महसूस करना चाहिए वह है एक परिवार
जो प्रथम मसीही समुदाय की भावनाओं से अनुप्राणित है। इसका वर्णन प्रेरित चरित में है
जिसे हम इस रविवार को पढ़ते हैं कहा गया हैः- विश्वासियों का समुदाय एक हदय और एक प्राण
था।
प्रथम ख्रीस्तीयों की सामुदायिकता का वास्तव में केन्द्र और नींव पुर्नजीवित
ख्रीस्त थे। सुसमाचार कहता है कि दुखभोग के समय जब दिव्य गुरु को गिरफ्तार किया गया और
मृत्यु दंड दिया गया शिष्य तितर बितर हो गये। केवल मरियम और एक महिला प्रेरित योहन के
साथ एकसाथ रहे और कलवारी तक उनका अनुसरण किया। पुर्नजीवित होने के बाद येसु ने अपने शिष्यों
को एक नवीन एकता प्रदान की जो पहले से कहीं अधिक मजबूत थी, अविजित क्योंकि इसका आधार
मानवीय संसाधनों पर नहीं लेकिन दिव्य करूणा पर है जो उन्हें पुनः प्रेम किये जाने और
क्षमा प्रदान कर दिये जाने का अनुभव देता है। इसलिए यह ईश्वर की करूणामय दयालुता है जो
कलीसिया को मजबूती से एकता में बाँधती है। कल और आज, यह मानवजाति को एक परिवार बनाती
है। दिव्य प्रेम जो क्रूसित और पुर्नजीवित हुए येसु ख्रीस्त के द्वारा हमारे पापों की
क्षमा प्रदान कर हमें आंतरिक रूप से नया बनाता है। इस प्रकार की दृढ़ अवधारणा से अनुप्राणित
होकर मेरे प्रिय पूर्वाधिकारी संत पापा जोन पौल द्वितीय ने पास्का पर्व के बाद पड़नेवाले
रविवार को दिव्य करूणा रविवार का नाम दिया तथा पुर्नजीवित ख्रीस्त को विश्वास और आशा
के स्रोत रूप में इंगित किया। संत फौस्तीना कोवालस्का को प्रभु द्वारा दिये गये आध्यात्मिक
संदेशों का स्वागत करते हुए जो कि इस उदगार में संशलेषित किया गया हैः- येसु, मैं आप
पर भरोसा करता हूँ। जैसा कि प्रथमा मसीही समुदाय के लिए मरियम हैं जो उन्हें दैनिक जीवन
में उनके साथ साथ चलती हैं। स्वर्ग की रानी के रूप में हम उनका आह्वान करें यह जानते
हुए कि उनका राजत्व उनके पुत्र के समान है पूरा प्रेम और दयालु प्रेम। मैं पुनः आपसे
कहता हूँ कि कलीसिया के प्रति मेरी सेवा को उनके सिपुर्द करें और विश्वासपूर्वक हम उनसे
कहें करूणा की माँ हमारे लिए प्रार्थना कर।
इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग
की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरांत उन्होंने कहा कि जूलियन कैलेंडर के अनुसार आज पवित्र पास्का पर्व मना रहे पूर्वी
कलीसियाओं के भाई बहनों को मैं हार्दिक मंगलकामनाएँ और पर्व की बधाई देता हूँ। मेरी
कामना है कि पुर्नजीवित प्रभु, विश्वास के प्रकाश को नवीकृत कर सबको बहुतायत में आनन्द
और शांति प्रदान करें।