2009-04-12 12:40:52

पास्का के उपलक्ष्य में रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


रविवार 12 अप्रैल को पास्का महापर्व के उपलक्ष्य में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण पास्का महायाग अर्पित किया तथा इसके समापन के बाद सम्पूर्ण विश्व एवं रोम शहर के नाम अपना विशिष्ट पास्का सन्देश जारी किया। सुनें सन्त पापा की आवाज़ ....................

"रोम तथा सम्पूर्ण विश्व के अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

हृदय की अतल गहराई से मैं आप सबको पास्का महापर्व की बधाई देता हूँ। सन्त अगस्टीन के शब्दों में "Resurrectio Domini, spes nostra" – प्रभु का पुनःरुत्थान हमारी आशा है। इन शब्दों से इस महान धर्माध्यक्ष ने विश्वासियों को समझाया कि येसु इसलिये पुनःजी उठे ताकि हम, यद्यपि नश्वर हैं तथापि, कभी इस बात की चिन्ता कर हताश नहीं होवें कि मृत्यु के साथ जीवन पूर्णतः समाप्त हो जाता है; क्योंकि हमें आशा दिलाने के लिये ख्रीस्त जी उठे हैं।

वस्तुतः, स्त्री पुरुषों को सर्वाधिक चिन्तित करनेवाले प्रश्नों में से एक हैः मृत्यु के बाद क्या है? आज का महासमारोह इस रहस्य की उत्तर यह कहकर देने हेतु हमें प्रेरित करता है कि मृत्यु अन्तिम शब्द नहीं है क्योंकि अन्त में जीवन ही विजयी होगा। हमारी यह निश्चयात्मकता साधारण तर्कणा पर आधारित नहीं है, बल्कि विश्वास के ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित हैः क्रूस पर चढ़ाये गये एवं दफना दिये गये, येसु ख्रीस्त, अपने महिमान्वित शरीर सहित जी उठे हैं। येसु जी उठे हैं ताकि हम भी, उनमें विश्वास करते हुए, अनन्त जीवन प्राप्त करें। यह उदघोषणा सुसमाचारी सन्देश का प्राण है। जैसा कि सन्त पौल उत्साहपूर्वक घोषित करते हैं – "यदि मसीह नहीं जी उठे तो हमारा धर्मप्रचार व्यर्थ है और आप लोगों का विश्वास भी व्यर्थ है।" वे यहाँ तक कह डालते हैं – "यदि मसीह पर हमारा भरोसा इस जीवन तक ही सीमित है, तो हम सब मनुष्यों में सबसे अधिक दयनीय हैं।" पास्का के उषाकाल से ही आशा के एक नवीन वसन्त ने विश्व को परिपूर्ण कर दिया है; उसी दिन से हमारा पुनःरुत्थान शुरु हो गया है, क्योंकि पास्का इतिहास के केवल एक क्षण का संकेत नहीं देता, बल्कि एक नई स्थिति के आरम्भ का संकेत देता हैः येसु जी उठे इसलिये नहीं कि उनकी स्मृति उनके शिष्यों में सजीव है बल्कि इसलिये कि वे स्वयं हममें जीवित रहते हैं और उनमें हम अभी से ही अनन्त जीवन के आनन्द का रसास्वादन कर सकते हैं।

अस्तु, पुनःरुत्थान एक परिकल्पना मात्र नहीं है बल्कि, मानव बने येसु ख्रीस्त के पास्का के माध्यम से उनके द्वारा प्रकाशित एक ऐतिहासिक वास्तविकता है। पास्का अर्थात् उनका "पारगमन" , जिसने स्वर्ग तथा पृथ्वी के बीच एक नया मार्ग खोल दिया है। यह न तो एक मिथक है और न ही कोई सपना,, यह न तो कोई दृष्टि और न ही यह स्वप्नलोक है, यह परियों की कहानी नहीं है बल्कि यह एक अद्वितीय एवं फिर कभी न दुहराई जानेवाली घटना हैः नाज़रेथ के येसु, मरियम के पुत्र, शुक्रवार को गोधूलि की बेला में जिन्हें क्रूस पर से नीचे उतारा गया था और दफना दिया गया था, उन्होंने विजयी रूप में क्रब को त्याग दिया है। वस्तुतः, विश्राम दिवस के पहले दिन भोर के समय, पेत्रुस एवं योहन ने कब्र को खाली पाया। मग्दला की मरियम तथा अन्य स्त्रियों ने पुनर्जीवित येसु के दर्शन पाये। एम्माऊस के रास्ते में, रोटी के तोड़ने पर, दो शिष्यों ने उन्हें पहचान लिया। पुनर्जीवित प्रभु उस सन्ध्या ऊपरी कक्ष में, प्रेरितों को दिखाई दिये और तदोपरान्त गलीलियों में कईयों को दिखाई दिये।

प्रभु के पुनःरुत्थान की उदघोषणा विश्व के उन अन्धकारपूर्ण क्षेत्रों को आलोकित करती है जिनमें हम निवास करते हैं। मेरा संकेत विशेष रूप से भौतिकतावाद एवं नाशवाद की ओर है, विश्व की उस अवमानना की ओर जो वैज्ञानिक प्रमाण के परे जाने में असमर्थ है तथा खालीपन की भावना को खुशी से स्वीकार कर लेती है जिसे मानव जीवन की निश्च्यात्मक नियति मान लिया जाता है। यह एक वास्तविकता है कि यदि ख्रीस्त मुर्दों में से जी न उठे होते तो खालीपन हमेशा बना रहता। यदि हम ख्रीस्त एवं उनके पुनःरुत्थान को दूर कर दें तो मनुष्य के लिये और कोई छुटकारा नहीं है तथा उसकी सभी आशाएँ भ्रम मात्र हैं। तथापि आज वह दिवस है जब प्रभु के पुनःरुत्थान की उदघोषणा ज़ोरों से गुँजायमान होती है तथा यह सभी संदेही लोगों के आवर्ती सवाल का भी जवाब है जिसे हम उपदेशक ग्रन्थ में भी पाते हैं – "क्या ऐसी कोई वस्तु है जिसके विषय में लिखा होः "देखो, यह तो नयी बात है।" हमारा जवाब है, हाँ – पास्का की सुबह सबकुछ नया हो गया। Mors et vita, duello conflixere mirando: dux vitae mortuus, regnat vivus – "मृत्यु और जीवन एक जबरदस्त युद्ध में एक दूसरे का सामना करने आये हैं। जीवन के स्वामी की मृत्य हो चुकी थी लेकिन अब वह विजयी रहता है।" यही है वह जो नया है। ऐसा नयापन जो उन लोगों के जीवन को रूपान्तरित कर देता है जो इसे स्वीकार करते हैं, जैसा कि सन्तों के मामले में है। यही है वह, उदाहरणार्थ, जो सन्त पौल के साथ हुआ।

अनेक बार, सन्त पौल को समर्पित वर्ष के सन्दर्भ में, हमें इस महान प्रेरित के अनुभवों पर चिन्तन का मौका मिला है। ख्रीस्तीयों पर निर्दयतापूर्वक अत्याचार करनेवाले तारसुस के सौल ने दमिश्क के मार्ग में पुनर्जीवित ख्रीस्त के दर्शन पाये तथा उनके द्वारा जीत लिये गये। शेष हम जानते हैं। पौल में वह हुआ जो बाद में जाकर उन्होंने कुरिन्थ के ख्रीस्तीयों को लिखाः "इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गई हैं और सबकुछ नया हो गया है।" इन महान सुसमाचार प्रचारक को हम निहारे जिन्होंने उत्साहपूर्वक तथा प्रेरितिक जोश के साथ उस युग के विश्व में विभिन्न लोगों के बीच सुसमाचार को प्रसारित किया। उनके उपदेश एवं उनका आदर्श हमें प्रभु येसु की खोज हेतु प्रेरित करे। येसु में विश्वास हेतु ये हमें प्रोत्साहित करें क्योंकि मानवजाति को मदोन्मत्त करनेवाला खालीपन का वह भाव, पुनःरुत्थान से उत्पन्न प्रकाश एवं आशा के द्वारा अभिभूत कर लिया गया है। स्तोत्र ग्रन्थ के भजन के शब्द सचमुच में पूरे हुए हैं – "तेरे लिये अन्धकार अँधेरा नहीं है और रात दिन की तरह प्रकाशमान है। अब खालीपन नहीं अपितु ईश्वर की प्रेमपूर्ण उपस्थिति सर्वत्र आच्छादित है। स्वयं मृत्यु के आधिपत्य को भी मुक्ति मिली है क्योंकि, पवित्रआत्मा के श्वास द्वारा, जीवन का शब्द पाताल तक भी पहुँच गया है।

यदि यह सच है कि मनुष्य एवं विश्व पर अब मृत्यु की सत्ता नहीं रही तथापि उसके पूर्वाधिराज्य के बहुत अधिक चिन्ह अभी भी मौजूद हैं। यद्यपि पास्का के द्वारा, ख्रीस्त ने बुराई की जड़ों का विनाश कर डाला है तथापि वे अब भी, हर युग और हर स्थान के स्त्री पुरुषों की मदद चाहते हैं ताकि वे उनके द्वारा उपयुक्त अस्त्रों अर्थात न्याय और सत्य, दया, क्षमा एवं प्रेम का उपयोग कर उनकी विजय को पुष्ट करें। यही वह सन्देश है जिसे मैंने अपनी हाल की कैमरून एवं अँगोला यात्राओं के दौरान सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप को देना चाहा और जहाँ मेरे सन्देश का महान उत्साह एवं तत्परता के साथ स्वागत किया गया। अफ्रीका असंगत ढंग से, प्रायः भुला दिये गये, क्रूर एवं कभी समाप्त न होनेवाले युद्धों को सह रहा है जो उसके कई देशों में रक्तपात एवं विनाश मचा रहे हैं तथा उसके अनगिनत पुत्र पुत्रियों को भुखमरी, निर्धनता एवं रोगों की ओर ढकेल रहे हैं। इसी सन्देश को मैं ज़ोरदार ढंग से पवित्रभूमि में भी दुहराऊँगा जहाँ जाने का सौभाग्य मुझे आज से कुछ ही सप्ताहों बाद मिल रहा है। पुनर्मिलन – कठिन अवश्य है किन्तु भावी सुरक्षा एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिये अपरिहार्य शर्त है और यह केवल इसराएली फिलीस्तीनी संघर्ष को समाप्त करने के लिये नवीकृत, दृढ़ एवं निष्कपट प्रयास से उपलब्ध की जा सकती है। मेरे विचार अब पवित्रभूमि के पड़ोसी देशों की ओर अभिमुख होते हैं, मध्यपूर्व तथा सम्पूर्ण विश्व की ओर। खाद्य के अभाव, वित्तीय संकट, पुराने और नये तरीकों की ग़रीबी, परेशान करनेवाले जलवायु परिवर्तन, हिंसा और वंचन, जो बहुत से लोगों को कम ख़तरनाक जगहों पर पलायन हेतु अपने घरों का परित्याग करने पर मजबूर करते हैं, सदा बना रहनेवाला आतंकवाद का ख़तरा और साथ ही भविष्य के लिये नित्य बढ़ती चिन्ताओं की पृष्टभूमि में आशा की पुनर्खोज अनिवार्य है। कोई भी इस शांतिपूर्ण संघर्ष से पीछे नहीं हटे जो ख्रीस्त के पुनःरुत्थान से आरम्भ किया गया है क्योंकि, जैसा कि मैंने पहले कहा है, ख्रीस्त उन स्त्रियों एवं पुरुषों की खोज कर रहे हैं जो उन्हें उनके ही द्वारा उपयुक्त अस्त्रों अर्थात न्याय और सत्य, दया, क्षमा एवं प्रेम का उपयोग कर, उनकी विजय को पुष्ट करने में सहायता प्रदान करेंगे।

Resurrectio Domini spes nostra! ख्रीस्त का पुनःरुत्थान हमारी आशा है। इसकी उदघोषणा कलीसिया आज आनन्दपूर्वक करती है। वह उस आशा की उदघोषणा करती है जो दृढ़ एवं अपराजित है क्योंकि ईश्वर ने येसु ख्रीस्त को मुर्दों में से जिलाया है। वह उस आशा का संचार करती है जिसे वह अपने हृदय में संजोये रहती है तथा इसे सभी स्थानों के सभी लोगों में बाँटना चाहती है, विशेष रूप से, उन स्थलों में जहाँ उनके विश्वास के कारण तथा न्याय एवं शांति हेतु उनके कार्यों के लिये ख्रीस्तीयों को सताया जाता है। वह उस आशा का आह्वान करती है जो भलाई हेतु साहस देने में सक्षम है, विशेष रूप से, जब इसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है। आज कलीसिया गाती है "वह दिन जिसे ईश्वर ने बनाया है", और वह लोगों को आनन्द मनाने के लिये आमंत्रित करती है। आज कलीसिया, आशा का तारा, मरियम से प्रार्थना करती है कि वे मानवजाति को मुक्ति के उस सुरक्षित धाम तक ले जायें जो, विश्व का उद्धार करनेवाले तथा पिता के साथ हमारा पुनः मेलमिलाप करनेवाले निर्दोष पास्का के मेमने, ख्रीस्त का प्राण है। उन्हीं हमारे विजयी राजा के आदर में, जो क्रूस पर चढ़ाये गये तथा पुनः जी उठे, हम आनन्दपूर्वक गाते हैं आल्लेलूईया।








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