2009-04-12 12:35:49

ईस्टर अर्थात पास्का महापर्व पर एक लघु चर्चा
 


श्रोताओ, पास्का अर्थात् येसु मसीह के मुर्दों में से पुनः जी उठने के स्मरणार्थ मनाये जानेवाले ईस्टर महापर्व के शुभ अवसर पर हम आप सबके प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित करते हैं। पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त आप सबको अपनी कृपा, ज्योति एवं शांति से परिपूर्ण कर दें.............................


श्रोताओ, ईस्टर एक प्राचीनतम ख्रीस्तीय महापर्व है। येसु मसीह के कब्र में से पुनः जी उठने की खुशी में मनायेजानेवाले इस महापर्व का आधार है येसु ख्रीस्त के पुनःरुत्थान और नवजीवन में विश्वास। यह जीवन का महोत्सव है, यह रात्रि के काले अन्धकार को पार कर भोर के प्रकाश में प्रवेश का महापर्व है। मृत्यु को पार कर जीवन में प्रवेश का महान पर्व है। वसन्त ऋतु के समान यह नवारम्भ एवं नवोदय का महापर्व है।

ईस्टर महापर्व के साथ अनेक लोकप्रिय परम्पराएँ जुड़ी हुई हैं। मिस्र देश की दासता से मुक्त होने के उपलक्ष्य में मनाया जानेवाला यहूदियों का पास्का मार्च व अप्रैल माह के बीच पड़ता है। इसी के दौरान लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व येसु पकड़वाये गये थे तथा आततायियों द्वारा क्रूस पर चढ़ाये जाने के तीसरे दिन बाद मुर्दों में से जी उठे थे। आरम्भिक ख्रीस्तीय विश्वासी आधिकांश यहूदी थे जिन्होंने येसु के पुनःरुत्थान को नया पास्का घोषित कर दिया। पूर्वी देशों में इसी समय वसन्त ऋतु की देवी का भी त्यौहार पड़ता है इसलिये आरम्भिक ख्रीस्तीयों ने इसे नवप्रस्फुटित जीवन या ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया।

ईस्टर रविवार के पूर्व सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण की धर्मविधि सम्पन्न की जाती तथा असंख्य मोमबत्तियाँ जलाकर विश्व के उद्धारकर्त्ता येसु मसीह में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की जाती है। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियाँ अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बाँटना एक प्रचलित परम्परा है। साथ ही रंगे हुए अण्डे या चॉकलेट के बने अण्डे बच्चों में बाँटना ईस्टर की लोकप्रिय परम्परा का अंग बन गया है। वस्तुतः अण्डा जीवन का प्रतीक है, इसके कठोर और सख्त़ छिलके को तोड़कर चूज़ा बाहर निकलता है इसीलिये आरम्भिक ख्रीस्तीयों द्वारा अण्डे को बन्द कब्र से बाहर निकलकर आनेवाले प्रभु का प्रतीक मान लिया गया। ईस्टर का एक और लोकप्रिय प्रतीक है खरगोश। श्रोताओ, सच तो यह है कि खरगोश की जनन क्षमता असाधारण होती है इसीलिये इसे जीवन और वसन्त ऋतु का प्रतीक मान लिया गया है। देश, काल और वातावरण के अनुकूल यद्यपि विभिन्न देशों में लोग अपनी अपनी परम्पराओं और रुचि के अनुसार ईस्टर या पास्का मनाते हैं तथापि आनन्द और आशा का भाव विश्वव्यापी रहता है।









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