2009-04-06 10:49:30

वाटिकन सिटीः प्रेम मानव की जीवन यात्रा को परिभाषित करता, बेनेडिक्ट 16 वें


रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में रविवार को खजूर इतवार के उपलक्ष्य में ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस बात पर बल दिया कि स्वतः के यथार्थ समर्पण से उत्पन्न प्रेम ही जीवन को अर्थ प्रदान करता है जिसका उदाहरण हमें येसु के क्रूस में मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रेम की अनुपस्थिति जीवन में खालीपन एवं ऊब भर देती है।
बाईबिल धर्मग्रन्थ में निहित खजूर इतवार के लिये निर्धारित पाठों पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि येसु राजा ने येरूसालेम में प्रवेश किया जहाँ खजूर एवं जैतून की डालियों से लोगों ने उनका जयकार किया। उन्होंने कहा कि वे विजयी राजा के् रूप में येरूसालेम प्रविष्ट हुए तथा उन्होंने एक नये प्रकार के राज्य की प्रस्तावना की। ऐसा राज्य जो क्रूस से होकर गुज़रा। उन्होंने कहा कि येसु ने स्वतः को पूर्णरूपेण अर्पित कर दिया इसीलिये पुनर्जीवित प्रभु रूप में वे सभी के हैं तथा सबके लिये विद्यमान रहते हैं। उनका राज्य विश्वव्यापी, सार्वभौमिक एवं असीमित है।
सन्त पापा ने कहा कि ऐसा इसलिये सम्भव है क्योंकि ख्रीस्त का राज्य राजनैतिक राज्य नहीं है बल्कि यह मानव के प्रति असीम प्रेम की मज़बूत नींव पर टिका है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपना जीवन केवल अपने लिये चाहता, केवल अपने लिये जीता तथा सभी सम्भावनाओं का शोषण अपने स्वार्थ के लिये करता है वह अपना जीवन खो देता है। ऐसा स्वार्थी जीवन खालीपन एवं ऊब से भर जाता है। उन्होंने कहा कि अन्यों के लिये अपना जीवन जी कर ही हम जीवन को सार्थक एवं रचनात्मक बना सकते हैं।
येसु के दुखभोग एवं मरण की याद को समर्पित पवित्र सप्ताह का आरम्भ खजूर इतवार की धर्मविधि से करते हुए सन्त पापा ने विश्व के ख्रीस्तानुयायियों से अनुरोध किया कि प्रभु के प्रति अपनी "हाँ" को वे हर दिन दुहराया करें क्योंकि प्रेम का उक्त सिद्धान्त ही मनुष्य की जीवन यात्रा को परिभाषित करता है।









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