जिनेवा, स्विट्जरलैंड: संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रस्ताव धार्मिक पूर्वाग्रहों को प्रश्रय
दे सकता है, महाधर्माध्यक्ष की चेतावनी
वाटिकन ने धार्मिक मान हानि पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा
है कि यह धार्मिक पूर्वाग्रहों को प्रश्रय दे सकता है। संयुक्त राष्ट्र के कार्यालयों
में परमधर्मपीठ के स्थायी प्रेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो तोमासी ने कहा कि ऐसा प्रतीत
होता है कि यह अच्छी पहल नकारात्मक परिणाम ला सकती है।
महाधर्माध्यक्ष सिलवानो
तोमासी ने स्पष्ट किया कि मार्च 26 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने इस्लामिक
सम्मेलन संगठन की ओर से पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत, एक विवादास्पद प्रस्ताव को मंजूरी
दे दी है,जिसमें "धर्मों की लगातार बदनामी पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है किन्तु जिसमें
केवल इस्लाम का ही उल्लेख किया गया है।
महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा कि
वर्तमान समय में ख्रीस्तीय समुदाय के साथ सम्पूर्ण विश्व में सबसे अधिक भेदभाव किया जाता
है। उन्होंने कहा कि धर्म की "बदनामी की अवधारणा" को स्पष्टतः परिभाषित किया जाना आवश्यक
है क्योंकि ईश निन्दा के विरुद्ध कानून का औचित्य ठहराकर, धार्मिक अल्पसंख्यकों को उत्पीड़ित
करने के लिये इसका दुरुपयोग किया जा सकता है जैसा कि कुछ देशों में इस समय हो रहा है।
विश्व में धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रकाशित एड टू द चर्च इन नीड की नवीनतम रिपोर्ट
में कहा गया कि पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सबसे घटिया उपकरण देश में लागू ईश
निन्दा कानून है जिसके तहत, कट्टरपन्थी मुसलमान दल, कुरान पाक या हज़रत मुहम्मद के अपमान
का आरोप लगाकर अल्पसंख्यक ख्रीस्तीयों को कारावास एवं प्राणदण्ड की सज़ा दिलवाते हैं।
महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने वाटिकन रेडियो से कहा कि धार्मिक मानहानि के विरुद्ध
संघर्ष का अर्थ है स्वतंत्रता एवं दूसरों की भावनाओं के प्रति सम्मान के बीच एक स्वस्थ
संतुलन की स्थापना करना और यह स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धान्तों की स्वीकृति से आ सकता
है जिसकी गारंटी अंतरराष्ट्रीय संधियों में दी गई है।