धैर्यपूर्वक न्याय, समानता, स्वतंत्रता, वार्ता और मेल-मिलाप अनवरत कार्य करें - पोप
वाटिकन सिटी, 30 मार्च, 2009 ।संत पापा ने इटली के सिविल सर्विस स्वयंसेवकों को ' शांति
के अग्रदूत ' कहा है और अपनी सेवा उत्साह और उदारतापूर्वक करने के लिये उन्हें बधाइयाँ
दीं हैं।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 28 मार्च को
वाटिकन की द्वितीय महासभा के एक दस्तावेज़ ' गौदियुम स्पेस ' पर अपने विचार व्यक्त कर
रहे थे।
संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि शांति के लिये लगातार कार्य करने की
आवश्यकता है।
उन्होंने इस बात की ओर भी युवाओं का ध्यान खींचा कि दुनिया में
हरदम कुछ न कुछ लड़ाई-झगड़े या हिंसा होते रहते हैं इस लिये आज ज़रूरत है कि हम शांति
की स्थापना के लिये लगातार प्रयास करते रहें।
शांति-प्रयास एक थकाऊ प्रक्रिया
है पर इसके लिये अनवरत् कार्य करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं।
संत पापा
ने दस्तावेज़ की बातों की याद दिलाते हुए कहा कि अगर हमें दुनिया में शांति लाना है तो
हमें चाहिये कि हम अपने मनोभाव बदलें। हम अपने मन परिवर्तन करें और हर हाल में हिंसात्मक
मार्गों का त्याग करें ।
उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ने भी अहिंसा का रास्ता
अपनाया और दुनिया के कई लोगों ने इसका अनुसरण किया है।
संत पापा ने कहा कि आज
हम उन लोगों की तारीफ़ किये बिना नहीं रह सकते हैं जिन्होंने अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों
की रक्षा के लिये अहिंसात्मक साधनों का सहारा लिया है।
इस अवसर पर बोलते हुए संत
पापा ने युवाओं को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि आज हम बुलाये गये हैं कि हम हिंसा के
हर रूप का विरोध करें। हम अन्याय, निष्क्रियता और घृणा का विरोध तो करें ही इसके साथ
धैर्यपूर्वक न्याय, समानता, स्वतंत्रता, बार्ता और मेल-मिलाप के लिये कार्य करें।
पोप
ने सिविल सर्विस के कार्यकर्त्ताओं से कहा कि वे जहाँ भी कार्य करते हों वे शांति के
प्रचारक बनें।
उनका मुख्य काम ही है कि वे युवाओं को इस बात का प्रशिक्षण दें
कि उन्हें किस तरह से एक ईमानदार और ज़िम्मेदार नागरिक बनना है।
संत पापा ने
यह भी कहा कि जीवन प्रेम है, इसे हम जितना देते हैं यह हमें भी उसी मात्रा में मिलता
जाता है।
आप दूसरों की सेवा में लगे रहें और अगर संभव हो तो प्रेम सत्य और न्याय
के लिये अपने जीवन के बलिदान से भी न हिचकें।