देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 29 मार्च को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश विदेश
से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देवदूत
संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व
दिये गये संदेश में कहाः-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
सर्वप्रथम मैं ईश्वर
और उन सबलोगो को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने प्रेरितिक यात्रा की सफलता के लिए
सहयोग किया और मैं हाल में सम्पन्न अफ्रीका की यात्रा के समय अफ्रीका की भूमि पर लगाये
गये बीजों पर बहुतायत में दिव्य कृपाओं की कामना करता हूँ। इस सार्थक मेषपालीय अनुभव
पर मैं बुधवार को आमदर्शन समारोह के अवसर पर विस्तार से कहने का मंतव्य रखता हूँ लेकिन
स्वागत से पूर्ण गहन भाव को व्यक्त करने के इस अवसर को जाने नहीं देना चाहता हूँ जिसे
मैंने कैमरून और अंगोला के नागरिकों और काथलिक समुदायों के साथ सम्पन्न बैठकों के समय
अनुभव किया। मुझ पर प्रभाव डालने वाले अनेक तत्वों में सबसे ऊपर ये दो पहलू हैं, दोनों
बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रथम, लोगों के चेहरों पर दिखाई देनेवाला आनन्द, ईश्वर के परिवार
के अंग होने की खुशी और मैं ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हूँ कि इन सरल, विश्वास से पूर्ण समारोहों
में बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित भाईयों और बहनों के साथ इन पलों में सहभागी हो सका।
द्वितीय, पूजन धर्मविधि समारोहों के समय पवित्रता का गहन भाव जो अफ्रीका के लोगों की
सामान्य विशेषता है इन प्रिय लोगों के बीच रहते समय प्रत्येक क्षण उभर कर सामने आई। इस
प्रेरितिक दौरे से मुझे विभिन्न अनुभवों और चुनौतियों के साथ अफ्रीका की कलीसिया की वास्तविकता
को बेहतर तरीके से देखने और समझने की अनुमति मिली।
अफ्रीका महाद्वीप में कलीसिया
के सामने प्रस्तुत चुनौतियों तथा विश्व के अन्य भागों के बारे में सोचते हुए हम चालीसाकाल
के पाँचवें रविवार के लिए निर्धारित सुसमाचार पाठ की सार्थकता को पहचानते हैं। येसु अपने
दुःखभोग को निकट जानकर उदघोषणा करते हैं कि जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिरकर नहीं
मर जाता तबतक वह अकेला ही रहता है परन्तु यदि वह मर जाता है तो बहुत फल देता है। शब्दों
और प्रवचनों का समय नहीं रह गया है लेकिन निर्णायक घड़ी आ गयी है। वह समय जिसके लिए ईश्वर
के पुत्र इस संसार में आये थे और आत्मा व्यथित होने के बावजूद वे अंत तक पिता ईश्वर की
इच्छा पूरी करने के लिए स्वयं को उपलब्ध कराते हैं। यह ईश्वर की इच्छा है हमें अनन्त
जीवन देना जिसे हमने खो दिया। लेकिन यह वास्तविक बने इसके लिए येसु को मरना होगा गेहूँ
के दाना के समान जिसे पिता ईश्वर ने इस दुनिया में बोया था। केवल इस तरह से ही एक नवीन
मानवता का अंकुर निकलेगा और उसका विकास होगा जो पाप के प्रभुत्व से मुक्त होकर स्वर्ग
में विद्यमान एक पिता के पुत्रों और पुत्रियों के समान भ्रातृत्व की भावना में जीने में
समर्थ होगी।
विश्वास के महान पर्व में जिसे हमने अफ्रीका में एकसाथ अनुभव किया
हमने देखा कि अपनी मानवीय सीमितताओं के साथ यह नवीन मानवता जीवित है। वहाँ जहाँ येसु
के समान मिशनरियों ने सुसमाचार के लिए अपने जीवन को दिया और देना जारी रखा है बहुत फल
उत्पन्न हुए हैं। वे जो कुछ अच्छा करते हैं इसके लिए मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता
हूँ। ये मिशनरी स्त्री और पुरूष, धर्मसमाजी और लोकधर्मी हैं। ख्रीस्त के प्रति उनके प्रेम
के फलों को देखना तथा उनके प्रति ख्रीस्तीयों की गहन कृतज्ञता भावना का अवलोकन करना सुन्दर
था। आइये हम ईश्वर को धन्यवाद दें तथा अति पवित्र माता मरियम की मध्यस्थता से प्रार्थना
करें कि येसु ख्रीस्त का आशा और प्रेम से पूर्ण संदेश सम्पूर्ण विश्व में फैले।
इतना
कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया तथा सब विश्वासियों को अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरांत संत पापा ने कहा कि मैं अपने पूर्वाधिकारी वंदनीय
प्रभु सेवक संत पापा जोन पौल द्वितीय के निधन की 4 थी पुण्यतिथि पर गुरूवार 2 अप्रैल
को संध्या 6 बजे संत पेत्रुस महामंदिर में ख्रीस्तयाग अर्पित करूँगा। मैं रोम के युवाओं
को विशेष रूप से आमंत्रित करता हूँ कि वे इसमें भाग लें तथा खजूर रविवार के दिन धर्मप्रांतीय
स्तर पर मनाये जानेवाले विश्व युवा दिवस की तैयारी करें।