2009-03-22 11:06:36

अँगोला में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के दर्शन हेतु निवासी सड़कों पर निकले


काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें अपनी सात दिवसीय अफ्रीकी यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं। इस समय वे अँगोला की राजधानी लुआण्डा में हैं जहाँ उन्होंने रविवार प्रातः, अंगोला में ख्रीस्तीय धर्म के आगमन की पाँचवी शताब्दी के उपलक्ष्य में, लुआण्डा के चिमांगोला विशाल मैदान में लगभग पाँच लाख श्रद्धालुओं के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

शुक्रवार को सन्त पापा कैमरून में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पूरी कर अँगोला पहुँचे थे जहाँ हज़ारों प्रशंसकों ने उल्लास एवं उंमग के साथ उनका हार्दिक स्वागत किया। सन्त पापा के अँगोला आगमन के दिन से ही लुआण्डा के सभी प्रमुख मार्ग जनसंकुल रहे हैं क्योंकि उनकी एक झलक पाने के लिये लोग मार्गों के ओर छोर जमा हैं। शायद इसलिये कि लगभग तीस वर्ष तक चले गृहयुद्ध के घावों से पीड़ित अँगोला के निर्धन लोग सन्त पापा में जीने की आशा को खोज रहें हैं। स्मरण रहे कि सन् 1975 तक अँगोला पुर्तगाल का उपनिवेश राष्ट्र था। यहाँ के लगभग साठ प्रतिशत नागरिक काथलिक धर्मानुयायी हैं। बीस प्रतिशत अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के अनुयायी हैं तथा शेष जीववादी या परम्परावादी हैं। अँगोला के काथलिक विश्वविद्यालय में राजनीति विद एवं प्राध्यापक नेलसन पेस्ताना ने एसोसियेटड प्रेस से कहा कि अँगोला में ख्रीस्तीय धर्म एक धर्म मात्र नहीं है अपितु अँगोलियाई पहचान का सम्मिश्र एवं अभिन्न अंग है। अंगोला में ख्रीस्तीय धर्म के आगमन की पाँचवी शताब्दी के उपलक्ष्य में सन्त पापा ने अंगोला के काथलिक धर्मानुयायियों से आग्रह किया है कि वे स्थानीय लोगों एवं पुर्तगाली उपनिवेशियों के बीच सेतु बनें।

शुक्रवार को अँगोला पहुँचते ही सन्त पापा ने नागरिकों से आग्रह किया था कि लगभग तीन दशकों तक जारी गृहयुद्ध के बाद अब वे पुनर्मिलन का हर सम्भव प्रयास करें क्योंकि केवल वार्ता के द्वारा ही सभी झगड़ों एवं तनावों को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि उनका बाल्यकाल नाज़ी काल में गुज़रा था इसलिये वे युद्ध एवं इससे उत्पन्न होनेवाले घावों से भलीभाँति परिचित हैं। उन्होंने कहाः "उस काल में मायावी सपने दिखानेवाली अमानवीय एवं विनाशकारी विचारधारा ने लोगों का दमन किया था इसीलिये मैं झगडों एवं तनावों के अन्त के लिये लोगों के बीच वार्ताओं के महत्व को समझता हूँ तथा सभी देशों को शांति एवं भ्रातृत्व का धाम बनाने की उत्कंठा मन में रखता हूँ।"










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