बेनेडिक्ट 16 वें के अनुसार अफ्रीका महान चुनौतियों एवं सम्भावनाओं का महाद्वीप
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के अनुसार अफ्रीका महान चुनौतियों और साथ ही सम्भावनाओं का
महाद्वीप है।
कैमरून तथा अँगोला देशों में अपनी पाँच दिवसीय यात्रा के दौरान
सन्त पापा इस देश के अध्यक्षों एवं प्रशानाधिकारियों से औपचारिक मुलाकातें करेंगे। मुसलमान
नेताओं, महिला कल्याण संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ साक्षात्कार
भी तय है।
कैमरून एवं अँगोला ऐसे दो देश हैं जहाँ के राजनीतिज्ञों पर भ्रष्टाचार
के आरोप लगते रहे हैं। यह भी आरोप है कि इन देशों की सरकारें तेल उद्योग एवं समृद्ध संसाधनों
का दुरुपयोग कर केवल कुछ धनाढ्य लोगों का हित कर रहीं हैं जबकि अधिकांश जनता निपट निर्धनता
में जीवन यापन को बाध्य है। रविवार को सन्त पापा ने कहा था कि अफ्रीका की यात्रा पर जाते
उनके विचार भुखमरी, रोगों, अन्याय एवं भ्रातृहत्या से पीड़ित लोगों पर केन्द्रित हैं।
भ्रष्टाचार एवं निर्धनता के कारण अविकास के शिकार बने इन देशों में लोगों की
आस्था ईश्वर में दृढ़ है। प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार विश्व में सबसे अधिक पौरोहित्य
बुलाहटें इन्हीं देशों में हैं किन्तु कैमरून तथा नाईजिरिया में इस्लाम धर्म ने भी अपनी
जड़ों को मज़बूत कर लिया है। लातीनी अमरीका के सदृश ही यहाँ अनेक ख्रीस्तीय धर्मपन्थ
हैं जो काथलिक युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
अन्य चुनौतियों जैसे एड्स
महामारी, विवाह से पूर्व बच्चे तथा पुरोहितों के ब्रहम्चर्य को भी अनदेखा नहीं किया जा
सकता। एड्स जैसी समस्याओं से जूझते अफ्रीका के काथलिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने अनेक
बार कॉनडोम टोपियों के उपयोग पर काथलिक कलीसिया के निषेध पर भी प्रश्न उठायें हैं। सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस विषय में अब तक कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा है किन्तु
सन् 2005 में अफ्रीका के काथलिक धर्माध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था
कि एड्स रोगियों के उपचार में काथलिक कलीसिया सबसे आगे रहेगी। स्मरण रहे कि काथलिक कलीसिया
कृत्रिम रूप से प्रजनन पर रोक लगाने का विरोध करती तथा एड्स निवारण के लिये यौन परहेज़
की शिक्षा देती है।