2009-03-13 18:23:15

संत पियुस दसवें सोसाइटी के प्रकरण पर लिखित संत पापा के पत्र पर विविध प्रतिक्रियाएँ


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का पत्र जिसमें उन्होंने संत पियुस दसवें सोसाइटी के चार धर्माध्यक्षों के बहिष्करण आदेश को समाप्त करने के निर्णय और प्रक्रिया के बारे में व्याख्या की है इसपर वाटिकन प्रेस प्रवक्ता फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने कहा कि यह असाधारण दस्तावेज है जो गहन ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने वाटिकन द्वारा 12 मार्च को जारी किये गये संत पापा के उक्त पत्र पर कहा कि अपने परमाध्यक्षीय काल में संत पापा ने सार्वजनिक वाद विवाद के मुददे पर अपने विचार इतने निजी तौर पर पहले व्यक्त नहीं किया था। उन्होंने कहा कि संत पियुस सोसाइटी के धर्माध्यक्ष रिचर्ड विलियमसन के यहूदियों के नात्सी उत्पीड़न से संबंधित विवादित वक्तव्य से जुड़ा विवाद समाप्त हो गया है तथा बहिष्करण के आदेश को समाप्त करने के निर्णय के यथार्थ उद्देश्य पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए संत पापा को अनुमति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि संत पापा का कार्य कलीसियाई एकता के गहन चिंतन से उत्प्रेरित है तथा उनका संदेश सब काथलिकों और अन्यों को भी अपने जवाब की जाँच करने के लिए आमंत्रित करता है कि इस प्रकरण में उनकी अपनी आध्यात्मिक मनोवृत्ति किस प्रकार की थी। अनेक समाचार पत्रों ने संत पापा के इस पत्र से धर्माध्यक्ष विलियमसन के विवादित मुददे को प्राथमिकता प्रदान की और इस तरह से संत पापा के संदेश के प्रमुख बिन्दु कलीसियाई एकता पर ध्यान नहीं दिया। वर्ल्ड जेविश कांग्रेस के अध्यक्ष रोलैंड लाउडर ने संत पापा के पत्र का स्वागत करते हुए कहा कि उनका संदेश अंतर धार्मिक वार्ता की अपरिहार्य जरूरतों तथा कठिन मुद्दों के समाधान के लिए इच्छा और संवेदना की ओर ध्यान देने के लिए आकर्षित करता है।








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