संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस्राएल में रब्बियों के मुख्यालय के प्रतिनिधियों और यहूदियों
के साथ धार्मिक संबंधवाली परमधर्मपीठीय समिति के सदस्यों को गुरूवार को सम्बोधित करते
हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण संवाद उनके पूर्वाधिकारी संत पापा जान पौल द्वितीय द्वारा
मार्च 2000 में सम्पन्न पवित्र भूमि की ऐतिहासिक यात्रा का फल है। यह उनकी इच्छा थी कि
इस्राएल में यहूदी धार्मिक संस्थानों के साथ वार्ता की जाये। संत पापा ने कहा कि विगत
सात वर्षों में दोनों समितियों के बीच मित्रता बढ़ी है और यहूदी तथा ख्रीस्तीय परम्पराओं
के महत्वपूर्ण प्रासंगि्क मुददों पर चिंतन किया गया है। सामान्य समृद्ध आध्यात्मिक विरासत
है इसलिए कलीसियाई दस्तावेज नोस्तरा एताते द्वारा प्रस्तावित परस्पर समझदारी और आदर पर
आधारित संवाद जरूरी और संभव है। उन्होंने कहा कि कलीसिया इसे मान्यता प्रदान करती है
कि इसके विश्वास का आरम्भ यहूदी प्रजा के जीवन में ऐतिहासिक दिव्य प्रवेश से होती है
और यहाँ हमारे अनूठे संबंध की बुनियाद है। ख्रीस्तीय सहर्ष स्वीकार करते हैं कि उनकी
जड़ ईश्वर की इस स्वप्रकाशना में पाई जाती है जिसमें यहूदियों के धार्मिक अनुभव से पोषण
प्राप्त करते हैं। संत पापा ने कहा कि वे तीर्थयात्री के समान पवित्र भूमि का दौरा करने
की तैयारी कर रहे हैं। उनकी प्रार्थना है कि सम्पूर्ण क्षेत्र में तथा मानव परिवार के
लिए एकता और शांति का उपहार मिले। उनकी यात्रा से कलीसिया और यहूदियों के बीच संवाद को
गहन बनाने में सहायता मिले ताकि पवित्र भूमि में यहूदी, ईसाई और मुसलमान शांति और सौहार्दपूर्ण
वातावरण में जीवन जी सकें।