चीन के विरुद्ध तिब्बत के असफल विद्रोह की पचासवीँ वर्षगाँठ पर धर्मशाला में आयोजित समारोह
के दौरान दलाई लामा ने तिब्बत को 'सच्ची और सार्थक' स्वायत्तता देने की पुनरावृत्ति की।
हिमाचल प्रदेश स्थित धर्मशाला में विद्रोह की पचासवीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है। पचास
वर्ष पूर्व तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने विद्रोह के असफल हो जाने
के बाद यहीं शरण ली थी। दलाई लामा ने चीन पर आतंक फैलाने का आरोप लगाकर कहा कि लाखों
तिब्बतियों को मारा जा चुका है और हज़ारों पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। इस
बीच विद्रोह की 50 वीं वर्षगाँठ पर प्रदर्शनों को रोकने के लिये चीन ने तिब्बत की राजधानी
ल्हासा में सुरक्षा कड़ी कर दी है। विगत वर्ष विद्रोह की वर्षगाँठ पर पश्चिमी चीन में
बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे और बाद में यह प्रदर्शन दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई
पड़े थे। अपने संबोधन में दलाई लामा ने उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने
तिब्बत के लिए 1959 से अब तक अपनी जानें गँवाईं हैं। इनमें विगत वर्ष के विरोध प्रदर्शनों
के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोग भी शामिल हैं। दलाई लामा ने कहा, "तिब्बती लोग
सच्ची और सार्थक स्वायत्तता चाहते हैं, ऐसी व्यवस्था जिसमें तिब्बती लोग चीनी प्रशासन
के अन्तर्गत रहकर स्वतंत्रतापूर्वक जीवन यापन कर सकें।