2009-03-09 12:53:07

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने अंदर आत्मविश्वास जगाना होगा – राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल


नयी दिल्ली, 9 मार्च 2009 । देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रविवार को महिला दिवस पर एक नई पहल करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को राष्ट्रपति भवन में बिठाकर उनके दुख-सुख सुने।

राष्ट्रपति ने महिलाओं को मजबूती से डटे रहने का हौसला देते हुए कहा कि 'जहां चाह है, वहीं राह है।' पहली बार राष्ट्रपति भवन आईं महिलाएं अभिभूत हो गईं। उन्होंने कहा कि यह महिला दिवस हमारे जीवन का सबसे यादगार दिन रहेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश की समृद्धि में महिलाओं का भी आधा हिस्सा है। आजादी की लड़ाई में महिलाएं पीछे नहीं रहीं। मगर उन्हें शिक्षा और अवसर नहीं मिले, जिससे वे कमजोर हो गईं।

उन्होंने आगे कहा- जब तक महिलाएं आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर रहेंगी, उन्हें निर्णय लेने का अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन जैसे ही वे काम करके कुछ कमाने लगती हैं, घर में सुनने को मिलता है- ' इनकी बात में दम है।'

ज्यादातर झुग्गी-झोंपडि़यों से आई महिलाओं के बीच पाटिल ने मजाक-मजाक में कई गंभीर बातें भी कहीं।

उन्होंने कहा कि महिलाएं जब कमाती हैं तो अपना पैसा घर में खर्च करती हैं। लेकिन पुरुषों का बड़ा हिस्सा अपनी कमाई दारू में उड़ा देता है। इस पर महिलाएं खूब हंसीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने अंदर आत्मविश्वास जगाना होगा। महिलाएं दूसरों को दुख देने में दुर्बल हो सकती हैं, मगर दुख झेलने में बहुत मजबूत हैं।

केन्द्र सरकार की महिला सशक्तीकरण योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सेल्फ हेल्प ग्रुप महिलाओं के आर्थिक उत्थान में बहुत सहायक हो सकते हैं।

महिलाओं ने राष्ट्रपति को अपने अनुभव सुनाए।

महिलाओं ने शिक्षा, परिवार द्वारा घर से बाहर निकलने में लगाई जाने वाली पाबंदियों, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को उठाया।

एक महिला कमलेश ने बताया कि मैं अनपढ़ थी। शादी और बच्चे होने के बावजूद मैंने पढ़ाई की और आज मैं अपनी बहनों को पढ़ा रही हूं।

इस मौके पर विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, जो महिलाओं को आथिर्क और तकनीकी मदद देने के साथ उनके कार्य कौशल बढ़ाने में मदद करेंगे।











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