मैसूरः धर्माध्यक्षों द्वारा उड़ीसा के ख्रीस्तीयों की सराहना तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा
धर्माध्यक्षों की याचिका को स्वीकृति
भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने उड़ीसा के ख्रीस्तीयों को विश्वास एवं देशभक्ति के वीर
की संज्ञा प्रदान कर शिकायत की है कि सरकार पीड़ित ख्रीस्तीयों को न्याय दिलाने हेतु
उपयुक्त कदम नहीं उठा रही है।
विगत शनिवार को भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन
ने मानवाधिकार सम्बन्धी संयुक्त ख्रीस्तीय मंच के अध्यक्ष जॉन दयाल की एक रिपोर्ट प्रकाशित
की जिसमें इस बात पर बल दिया गया कि उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा समाप्त
नहीं हुई है तथा अभी भी हिन्दु चरमपंथी उन्हें अपनी घृणा का निशाना बना रहे हैं। यह भी
कहा गया कि राज्य सरकार ख्रीस्तीयों को सुरक्षा देने में पूर्णतः असफल रही है जिसकी वजह
से हज़ारों ख्रीस्तीय अपने घरों को नहीं लौट पाये हैं।
इस बीच, भारत के उच्चतम
न्यायालय ने, सोमवार को, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों की उस याचिका को स्वीकार कर लिया
है जिसमें धर्माध्यक्षों ने अपील की थी कि साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने के लिये राज्य
सरकारों को विशिष्ट निर्देश दिये जायें। उन्होने मांग की है कि साम्प्रदायिक झगड़ों में
अधिकारियों की ज़िम्मेदारी के खुलासे के लिये मापदण्ड निर्धारित किये जाने चाहिये।
न्यायमूर्ति
के.जी. बालाकृष्णन तथा न्यायधीश सत्यशिवम ने धर्माध्यक्षों की याचिका को स्वीकार कर लिया
है।