पुरोहित अपने प्रशिक्षण काल में ही मानवीय और आध्यात्मिक गुणों से परिपूर्ण हो- संत पापा।
वाटिकन सिटी, 21 फरवरी, 2009 ।संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि पुरोहिताई की
तैयारी का समय अत्यंत महत्वपूर्ण महत्त्वपूर्ण समय है और इसका उपयोग जीवन में सही चुनाव
के लिये होना चाहिये। संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे लैटिन अमेरिका के
लिये परमधर्मपीठीय समिति की सभा को संबोधित कर रहे थे। संत पापा ने कहा कि उन्होंने
पिछले साल लैटिन अमेरिका के कई धर्माध्यक्षों से मुलाकात की जब वे अपने पंचवर्षीय मुलाकात
के दरमियान रोम आये थे। उनका मानना है कि स्थानीय कलीसिया को मजबूत करने के लिये
आवश्यक है कि पुरोहित बनने के लिये शिक्षा प्राप्त कर रहे सेमिनेरियों का प्रशिक्षण अच्छा
हो ताकि वे खुद विश्वास में मजबूत रहकर लोगों को ख्रीस्तीय जीवन को मजबूत कर सकें। उन्होंने
यह भी कहा कि जब वे सेमिनरी में थे उस समय सेमिनरी का प्रशिक्षण ऐसा था कि व्यक्ति ख्रीस्त
के प्यार से ओत-प्रोत हो जाये और उसक दिल में लोगों को सेवा करने की भावना कूट-कूट कर
भर जाये। संत पापा ने आगे कहा कि सेमिनरी में शिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं
को यह सिखाया जाये कि कलीसिया उनका अपना घर है, माँ मरिया सदा उनके साथ है और येसु उन्हें
ईश्वर की इच्छा पूरी करने का उदाहरण दे रहें हैं। पोप ने कहा कि यदि हम चाहते हैं
कि प्रशिक्षु येसु के समान ही पुरोहित बनें तो उन्हें यह सिखाया जाना चाहिये कि वे पवित्र
आत्मा से अपनी शक्ति प्राप्त करें और पूर्णतः किसी भी निर्णय के लिये उन्हीं पर आधारित
रहें। संत पापा ने कहा कि उनके प्रशिक्षण को अधिक सख़्त बनाया जाये ताकि वे समय की माँगों
के अनुसार लोगों को भला नमूना दे सकें। संत पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि आज के
पुरोहित प्रशिक्षुओं को चाहिये कि वे ईश्वर की इच्छा पूरी करने और येसु के सच्चे मिशनरी
बनने के उद्देश्य से ही पुरोहित बनें ताकि वे ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य दे सकें। उनका
मानना है कि जो उम्मीदवार पुरोहित बनना चाहते हैं उनके लिये यह ज़रुरी है कि वे मानवीय
आध्यात्मिक बौद्धिक और प्रेरितिक कार्य करने संबंधी गुणों में उचित विकास करें। इसके
साथ उन्हें चाहिये कि वे कलीसिया और लोगों के प्रति वफ़ादार रहें।