संत पापा का येरुसालेम जाने का निर्णय ' साहसिक '- फादर लोम्बार्डी
वाटिकन सिटी, 16 फरवरी, 2009 । संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का यह निर्णय कि वे अपनी येरुसालेम
की यात्रा पर कोई परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं एक ' साहसिक ' कदम है।
वाटिकन
प्रेस कार्यालय के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदिरिको लोम्बार्डी ने उस समय दी जब वे वाटिकन
टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ' ऑक्तावा दियेस ' में संत पापा की प्रस्तावित येरुसालेम
यात्रा के बारे में टिप्पणी कर रहे थे।
ज्ञात हो कि इस वर्ष मई के दूसरे सप्ताह
में संत पापा को जोर्डन इस्राएल और पालेस्तिन की प्रेरितिक यात्रा करने की योजना है।
संत पापा ने 12 फरवरी को इस बात की आम घोषणा उस समय कीं जब वे अमेरिकी यहूदी समुदायों
के अध्यक्षों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
जेस्विट फादर लोम्बार्डी ने बताया
कि येरुसालेम के यहूदियों और ईसाइयों की बड़ी इच्छा है कि पवित्र भूमि में संत पापा
अपने कदम रखें।
वाटिकन के प्रवक्ता ने कहा कि पोप ने पहले भी इस पवित्र भूमि
पर अपने कदम रखें हैं पर इस बार ईसाई धर्म के महागुरु के रूप में उन स्थानों में फिर
से जाना चाहते हैं जहाँ येसु ने काम किया और जहाँ पर ईसाई धर्म की नींव डाली गयी।
वास्तव
में संत पापा पौल षष्टम् ने प्रेरितक यात्रा करने की परंपरा शुरु की और संत पापा जोन
पौल द्वितीय न इसे आगे बढ़ाया और अब संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का यह कदम ' साहसिक '
है।
संत पापा के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि येरुसालेम में राजनीतिक अस्थिरता
के कारण दहशत का माहौल बना हुआ है।
उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे वातावरण में
शांति-प्रक्रिया कठिन है और ईसाई और यहूदियों के बीच चल रहे वार्ता की प्रगति पर गतिरोध
हो रहा है।
उन्होंने यह आशा जतायी कि यह चुनौतीपूर्ण समय है पर येरुसालेम में
शांति का दीप जलाया गया है उसे जलाये रखने की आवश्यकता है ताकि लोगों को शांति, मुक्ति
और आशा प्राप्त हो सके।