मानव को मानव होने का उचित सम्मान दें- महाधर्माध्यक्ष मरकेत्तो
वाटिकन सिटी, 16 फरवरी, 2009 । पलायन की समस्या के समाधान का उचित समाधान तब ही संभव
है जब हम इस बात की मान्यता देने लगेंगे कि विश्व के सब लोग एक मानव परिवार के अंग हैँ।
उक्त बातें प्रवासी और यात्राओं के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के सचिव महाधर्माध्यक्ष
ने शुक्रवार 14 फरवरी कहीं जब वे मानव की मर्यादा और मानवाधिकार विषय पर आयाजित एक
संगोष्ठी में बोल रहे थे।
संगोष्ठी का आयोजन अदेनौर फांउडेशन और सनएजिडियो समुदाय
के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि भूमण्डलीकरण
के इस युग में प्रवासियों की समस्या सबसे बड़ी चुनौती के रूप मे उभर कर सामने आयी है।
पलायन की समस्या आज किसी जाति, समुदाय या किसी भाषा-भाषी की समस्या नहीं है यह समस्या
मानव परिवार की है।
महाधर्माध्यक्ष ने आगे कहा कि इसी लिये कलीसिया इस समस्या
पर विशेष ध्यान देता है और इसके समाधान के लिये अपना प्रयासरत है।
इस समस्या
के समाधान के लिये कलीसिया चाहती है लोगों को पुनः बसाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने
इस बात पर भी बल दिया कि प्रवासियों को किसी भी प्रकार के अन्याय से बचाया जाना चाहिये।
इतना ही नहीं उनके अधिकारों की रक्षा के लिये कानूनी सुरक्षा की भी व्यवस्था
होनी चाहिये। सरकार को यह भी देखना चाहिये कि प्रवासियों को सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक
विभिन्नता को बरकरार रखते हुए शांति और सहयोग के साथ जीने का रास्ता दिखाये।
महाधर्मध्यक्ष
मरकेत्तो ने यह भी कहा कि मानव की मर्यादा की रक्षा के लिये कलीसिया को यह भी प्रयास
करना चाहिये कि यह प्रवासियों के देख-रेख की विशेष व्यवस्था करे, बच्चों की धर्मशिक्षा
उन्हीं की मातृभाषा में करे और संस्कारों की व्यवस्था करे ताकि ख्रीस्तीय जीवन मजबूत
रह सके।
उन्होंने आगे कहा कि प्रवासियों के लिये यह भी आवश्यक है कि उन्हें अन्य
लोगों की संस्कृति से भी अवगत कराया जाये ताकि वे एक-साथ मिल कर जीना सीख सकें।
इस
अवसर पर महाधर्माध्यक्ष मरचेत्तो ने इस बात पर बल दिया कि आज ज़रुरत है इस बात कि लोगों
समुदायों, धर्मों, संस्कृतियों और विभिन्न समुदायों बीच वार्तालाप का दौर जारी रहे।
यह
तब ही संभव हो पायेगा जब हम मानव को मानव होने का उचित सम्मान दें।