वाटिकन राज्य का छोटा है पर यह हर दृष्टि से विश्व के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण -कार्डिनल
बेरतोने।
वाटिकन सिटी, 14 फरवरी, 2009 । संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के सचिव कार्डिनल तारसिसियो
बेरतोने ने कहा है कि वाटिकन राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल छोटा है पर यह हर दृष्टि से
विश्व के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्डिनल ने उक्त बातें उस समय कहीं जब
वे लातेरन समझौते के 80 साल पूरे होने के अवसर पर रोम में आयोजित, वृहस्पतिवार से आरंभ
हुए एक सेमिनार में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
सेमिनार की विषयवस्तु है ' छोटा
क्षेत्रफल बड़ा मिशन। ' ज्ञात हो कि 11 फरवरी सन् 1929 में लातेरन समझौते के तहत् इटली
सरकार ने वाटिकन की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता को मान्यता दी।
कार्डिनल बेरताने
ने कहा कि अस्सी सालों के बाद यह उचित ही है कि हम वाटिकन राज्य की स्थापना और उसके लक्ष्यों
का मूल्यांकन करेँ।
उन्होंने आगे कहा कि वाटिकन राज्य की स्थापना और उसके विकास
पर चिन्तन करते हुए हम आज संत पापा पीयुस ग्यारहवें को नहीं भूल सकते हैं क्योंकि उन्हीं
को हम वाटिकन राज्य का वास्तविक संस्थापक मानते हैं।
लातेरन समझौते ने ही बर्षों
से चली आ रही रोम की समस्या का समाधान कर दिया। इतिहास के अनुसार सन् 1870 ईस्वी में
इटली ने चर्च पर आक्रमण किया था और उसकी सम्पत्ति पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था।
कार्डिनल
बेरतोने ने कहा कि वाटिकन राज्य का कलीसिया के उस मेहनत का फल है जिसमें इसने इटली देश
के साथ विभिन्न समस्याओं के समाधान में अपनी उदारता, तप, यथार्थवाद और दूरदर्शिता का
परिणाम है।
वाटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने यह भी बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध
के समय में संत पापा ने शांति स्थापना के अनेक प्रयास किये थे। इसके साथ ही संत पापा
पीयुस बारहवें ने भी युद्ध से प्रभावित यूरोप के लोगों के लिये बचाव और राहत कार्य में
खुल कर मदद की थी।
इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि शर्णार्थियों के लिये संत
पापा ने चर्च के अनेक संस्थाओं को उपयोग में लाने के लिये उपलब्ध कर दिया था।
इन
शरणार्थी शिविरों में लातेरन का पोन्तीफिकल सेमिनरी, संत पौल आउट साइड द वॉल का परिसर,
कास्तेल गन्दोल्फो का परिसर, अनेक कॉन्वेन्टस और पारिश शामिल थे।
कार्डिनल ने
यह भी बताया कि अपनी स्थापना के बाद से ही वाटिकन में कई महत्वपूर्ण घटनायें हुई हैं
जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।
उन प्रमुख घटनाओं में वाटिकन की द्वितीय
महासभा, महाधर्माध्यक्षों की सभा, वर्ष 2000 का जुबिली महोत्सव और संत पापा जोन पौल द्वितीय
की अंत्येष्टी, जिस समय विश्व के अनेक गणमान्य नेताओं ने वाटिकन आकर उसके अंतिम दर्शन
किये।