देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 8 फरवरी को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से
आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया। उन्होंने कहाः-
अतिप्रिय भाईयो
और बहनो,
विगत रविवार के सुसमाचार पाठ से जुड़ा आज का सुसमाचार पाठ प्रभु येसु
को हमारे सामने प्रस्तुत करता है जिसमें कफरनाहूम के सभागृह में प्रवचन करने के बाद वे
सिमोन की सास सहित अनेक रोगियों को चंगा करते हैं। घर में प्रवेश करने के बाद उन्होंने
देखा कि सिमोन की सास बुखार से पीड़ित बिस्तर पर पड़ी है। उन्होंने तुरंत उसके हाथ को
पकड़कर उसे चंगा किया और बिस्तर से उठाया। उन्होंने सूर्यास्त के बाद विभिन्न प्रकार
की बीमारियों से पीडि़त अनेक लोगों को चंगा किया।
येसु ख्रीस्त के सार्वजनिक
मिशन में रोगियों को चंगा करने के अनुभव का बहुत बड़ा भाग है और यह हर परिस्थिति में
जहाँ मानव स्वयं को पाता है बीमारी के अर्थ और मूल्य पर पुनः चिंतन करने के लिए हमें
आमंत्रित करता है। रोगियों का विश्व दिवस मनाने के कारण यह अवसर हमारे सामने आता है जिसे
हम अगले बुधवार 11 फरवरी को लूर्द की कुँवारी मरिया का समारोही पूजनधर्मविधि में स्मरण
करते हैं।
इस तथ्य के बावजूद कि बीमारी मानव अस्तित्व का भाग है हम इसके प्रति
सहज नहीं हो पाते हैं क्योंकि यह न केवल भारी और बोझ के समान है बल्कि अपरिहार्य रूप
से हम जीवन, पूर्ण जीवन के लिए बनाये गये हैं। हमारा आंतरिक भाव हमें यह सोचने को विवश
करता है कि ईश्वर जीवन की प्रचुरता हैं बल्कि इससे कहीं अधिक वे अनन्त और पूर्ण जीवन
हैं। जब बीमारियों के कारण हमारी परीक्षा ली जाती है, हमारी प्रार्थनाएँ व्यर्थ प्रतीत
होती हैं, संदेह गहरा हो जाता है, चिंता और दुःख से भर जाते हैं तब हम अपने आप से पूछते
हैं-ईश्वर की क्या इच्छा है
इसी सवाल का सटीक जवाब हम सुसमाचार में पाते हैं।
उदाहरण के लिए आज के पाठ में हम पढ़ते हैं- ईसा ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित
बहुत से रोगियों को चंगा किया और बहुत से अपदूतों को निकाला। वे अपदूतों को बोलने से
रोकते थे क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन हैं। संत मत्ती रचित सुसमाचार के एक दूसरे उद्धरण
में हम पढ़ते हैं-ईसा उनके सभागृहों में शिक्षा देते ईश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार
करते हुए सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।
येसु संदेह के लिए कोई स्थान नहीं
छोड़ते हैं। ईश्वर जिसका चेहरा उन्होंने स्वयं प्रकट किया, जीवन का ईश्वर है जो हमें
सब प्रकार की बुराई से मुक्त करते हैं। इसका और उनके प्रेम की शक्ति का चिह्न वे सब चंगाई
हैं जिन्हें वे करते हैं। वे इस तरह दिखाते हैं कि ईश्वर का राज्य निकट है। आत्मा और
शरीर में सब स्त्री और पुरूष की पूर्ण अखंडता को वे पुनः स्थापित करते हैं। इन चंगाईयों
को मैं संकेत मानता हूँ। ये सब येसु के संदेश की ओर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। ये हमें
ईश्वर की ओर ले चलते हैं और हमें समझाते हैं कि मानव की सबसे सच्ची और गहन बीमारी है
ईश्वर की अनुपस्थिति। ईश्वर सत्य और प्रेम का झरना हैं और केवल उन्हीं के साथ पुर्नमिलन
में ही हमें सच्ची चंगाई, सच्चा जीवन प्राप्त हो सकता है क्योंकि जीवन जिसमें प्रेम और
सत्य नहीं है वह सच्चा जीवन नहीं हो सकता है।
ईश्वर का राज्य जो सत्य और प्रेम
की उपस्थिति है यह हमारे अस्तित्व की गहराई में चंगाई लाता है। पवित्र आत्मा के प्रति
हम आभारी हैं येसु के कार्य कलीसिया के मिशन में जारी हैं। ये ख्रीस्त हैं जो संस्कारों
के द्वारा भाई- बहनों में अपने जीवन का संचार करते हैं जैसा कि वे असंख्य लोगों को चंगा
करते और उन्हें सांत्वना प्रदान करते हैं। भ्रातृत्वमय उदारता का प्रसार करती कलीसियाई
समुदाय के द्वारा सम्पन्न चिकित्सा सेवा की अनेक गतिविधियाँ ईश्वर का चेहरा, उनके प्रेम
को प्रदर्शित करती हैं।
यह सच है कि सारी दुनिया में कितने ख्रीस्तीय हैं ,पुरोहित,
धर्मसमाजी और लोकधर्मी हैं जिन्होंने प्रभु येसु ख्रीस्त जो शरीर और आत्मा के सच्चे चिकित्सक
हैं उन्हें अपने हाथ,आँख और दिल दिया और अब भी देना जारी रखा है। हम सब रोगियों के लिए
प्रार्थना करें मुख्यतः उनके लिए जो सबसे अधिक बीमार हैं, अपनी देखभाल करने में असमर्थ
पूरी तरह दूसरों पर आश्रित हैं। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति जो लोग उनके समीप उपस्थित
हैं उनकी उत्कंठा में ईश्वरीय प्रेम की शक्ति और हमें बचानेवाली उनकी कृपा की समृद्धि
को अनुभव कर सकें। मरियम रोगियों का स्वास्थ्य हमारे लिए प्रार्थना करें।
इतना
कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
प्रदान किया।