2009-02-07 14:17:26

जाति-भेद को समाप्त करने के लिये शिक्षण संस्थायें आयें - फादर आरोक्याराज


नयी दिल्ली, 7 फरवरी, 2009। दलित युवति के साथ किये गये पुलिस के द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होने का ईसाई नेताओं ने स्वागत किया है।
ज्ञात हो कि उत्तरप्रदेश सरकार ने एक पुलिस को बर्खास्त कर दिया है और दूसरे की सेवा समाप्त कर दी है।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि उस दलित युवति ने इटावा जिले एक बाज़ार से किसी की पर्स चोरी की थी।
अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दलित और आदिवासी मामलों के सीबीसीआई सचिव फादर कोसमोन अरोक्याराज कहा है कि वे सरकार की कार्रवाई का स्वागत करते हैं। और उनकी माँग है कि सभी धर्मावलंबी जाति के आधार पर होने वाले किसी प्रकार के पक्षपात का विरोध करें।
उन्होंने आगे कहा कि भारत का संविधान सबको सामाजिक समता का अधिकार देता है पर जातिगत भेदभाव की घटनायें बराबर घटती रहती हैं।
सन् 2007 ईस्वी में 9817 घटनायें दर्ज करायीं गयीं थी और सिर्फ उत्तर प्रदेश में 2113 घटनायें घटी थीं।
ज्ञात हो कि इटावा की घटना ने उस समय लोगों का ध्यान खींचा जब समाचार पत्रों ने एक फोटा छापा जिसमें एक पुलिस को एक दलित युवति का बादल खींचते हुए दिखाया गया था।
फादर आरोक्याराज के अनुसार सरकार को चाहिये कि वह जाति संबंधी भेदभाव करने वालों पर कानूनी कार्रवाई सख्ती से करे।
उनका यह भी मानना है जाति भेद की प्रथा को समाप्त करने के लिये शिक्षण संस्थाओं को आगे आने की आवश्यकता है ताकि समाज में एक क्रांति आ सके।












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