श्रीलंका के संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में पुरोहित अपने लोगों के साथ रहेंगे
श्रीलंका में परमधर्मपीठीय राजदूत महाधर्माध्यक्ष मारियो जेनारी ने कहा है कि संघर्ष
प्रभावित क्षेत्र में काथलिक पुरोहित अपने लोगों के साथ रहेंगे और कार्य करेंगे। 22 पुरोहित
और 27 धर्मबहनें संघर्ष प्रभावित वाणी क्षेत्र में शरणार्थियों की देखरेख कर रहे हैं।
जाफना प्रांत के धर्मसमाजियों और विश्वासियों के प्रति अपनी सहदयता प्रदर्शित करने के
लिए 5 फरवरी को वाटिकन के राजदूत ने धर्मप्रांत का दौरा किया जहाँ विगत 9 दिनों से लोकधर्मी
और धर्मसमाजी बारी बारी से भूख हड़ताल में भाग ले रहे हैं तथा युद्ध के शिकार हुए लोगों
और देश में शांति स्थापना के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा
राजपक्षे चाहते हैं कि धर्मसमाजी संघर्ष प्रभावित क्षेत्र छोड़कर सरकारी सेना के नियंत्रण
वाले क्षेत्र में चले आयें। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने आम नागरिकों से कहा है कि
वे सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्र में चले आयें तथा जो लोग निर्देश नहीं मानेंगे वे एलटीटीई
के लड़ाकाओं के बीच होंगे और उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सैन्य बलों की नहीं होगी। सरकारी
सेना के अनुसार विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र का दायरा घटकर 210 वर्गकिलोमीटर रह
गया है। श्रीलंका सरकार ने तमिल लड़ाकाओं के साथ युद्ध विराम समझौते किये जाने के लिए
अमरीका और ब्रिटेन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।