वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर में सोमवार को समर्पित जीवन यापन करनेवाले धर्मसमाजियों
एवं धर्मसंघियों के लिये 13 वाँ प्रार्थना दिवस मनाया गया। ग़ौरतलब है कि 2 फरवरी को
येसु के मन्दिर में अर्पण महापर्व दिवस पर उक्त प्रार्थना दिवस मनाया जाता है।
इस
अवसर पर समर्पित जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल फ्रेंक रोड
ने महामन्दिर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग समारोह के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे प्रेरितवर सन्त
पौल को अपना आदर्श मानें।
सन्त पापा ने कहा कि ग़ैरविश्वासियों में सुसमाचार
का सन्देश प्रसारित करनेवाले सन्त पौल अकिंचनता, ब्रह्मचर्य एवं आज्ञाकारिता की सुसमाचारी
शपथों के अनुपालन हेतु आदर्श हैं क्योंकि उनमें आध्यात्मिक जीवन एवं मिशनरी जीवन को जोड़े
रखने की महान क्षमता थी।
सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि
सन्त पौल परिश्रम पर बल देते थे तथापि वे ज़रूरतमन्दों की सहायता को भी आगे आते थे। एक
और वे अपनी कमाई की रोटी खाने पर बल देते तो दूसरी और ज़रूरत में पड़ी येरूसालेम की कलीसिया
के लिये भी चंदा एकत्र किया करते थे। सन्त पापा ने कहा कि सन्त पौल के ये कृत्य दर्शाते
हैं कि अकिंचनता के वरण में वे पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा इसके अतिरिक्त सन्त पौल उस
युग में जीवन यापन कर रहे थे जिसमें ब्रह्मचर्य एवं शुद्धता जैसे महान मूल्यों का ह्रास
सर्वत्र दिखाई दे रहा था तथापि सब प्रलोभनों से दूर रहकर सन्त पौल ने स्वतः को शुद्ध
रखा तथा अपना जीवन केवल प्रभु के प्रति अर्पित किया। साथ ही सन्त पापा ने कहा कि दिन
प्रति दिन विभिन्न कलीसियाओं के प्रति सन्त पौल की उत्कंठा प्रभु के प्रति उनकी आज्ञाकारिता
का प्रमाण है।
सन्त पौल को समर्पित वर्ष की पृष्टभूमि में सन्त पापा ने समर्पित
जीवन यापन कर रहे समस्त लोगों से आग्रह किया कि सन्त पौल के पद चिन्हों पर चल कर ही वे
अपना जीवन साकार करें।