वाटिकन सिटीः "सुखमृत्यु एक मिथ्या समाधान", बेनेडिक्ट 16 वें
रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत
प्रार्थना के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा
कि सुखमृत्यु एक मिथ्या समाधान है।
रविवार, पहली फरवरी को इटली में जीवन दिवस
मनाया गया। इस अवसर पर सन्त पापा ने इताली धर्माध्यक्षों द्वारा चुने गये विषय "पीड़ा
में जीवन की शक्ति" पर बोलते हुए कहा कि व्यक्ति के् जीवन का अन्त करना पीड़ा का मिथ्या
समाधान है जो मानव मर्यादा के योग्य नहीं है। सन्त पापा ने कहा कि रोगी की पीड़ा का अन्त
करने के लिये सुखमृत्य का चयन, प्रायः, एक बड़ा प्रलोभन रहा करता है किन्तु यह इसका उत्तर
नहीं है। पीड़ा का उत्तर केवल प्रेम है।
इस उपलक्ष्य में जारी इताली धर्माध्यक्षों
के सन्देश के साथ एक होते हुए सन्त पापा ने कहाः "मैं हृदय की गहराई से उनके सन्देश के
साथ एक प्राण होता हूँ जिसमें हम लोगों के प्रति उनके मेषपालों के प्रेम तथा सत्य की
घोषणा के साहस को देखते हैं, उदाहरणार्थ, इस बात की पुष्टि कि सुखमृत्यु पीड़ा मिथ्या
समाधान है जो मानव योग्य नहीं है।"
सन्त पापा ने कहाः "समाधान व्यक्ति को उसकी
पीड़ा से बाहर निकालने में नहीं है, भले ही यह काम कितने ही उदार मन से क्यों न किया
जाये, "बल्कि प्रेम का साक्ष्य देने में है जो हमें, मानवीय ढंग से, पीड़ा एवं यन्त्रणा
का सामना करने का बल प्रदान करता है"।
"यह निश्चित्त कहा जा सकता है," सन्त पापा
ने कहा, कि "ऐसी कोई आँसू की बूँद नहीं है, चाहे वह पीड़ा सहनेवाले की हो अथवा उसके इर्द
गिर्द रहनेवालों की, जिसपर ईश्वर का ध्यान न गया हो।"
पीड़ा सहनेवालों को तथा
उनकी देखरेख में संलग्न सभी लोगों को सन्त पापा ने माँ मरियम के सिपुर्द किया जिन्होंने
पुनःरुत्थान की आशा में, अपने क्रूसित बेटे के दुःख को अपने हृदय में संजोये रखा था।