नाज़ियों के द्वारा लाखों यहूदियों के नरसंहार को अस्वीकार करना गंभीर बात- पोप
वाटिकन सिटी, 30 जनवरी 2009। वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदिरिको लोम्बार्दी ने कहा है
कि कलीसिया किसी गंभीर बात पर ही किसी फादर या धर्माध्यक्ष को कलीसिया से बाहर कर दिया
जाता है।
अगर कोई व्यक्ति इस बात को अस्वीकार करता है कि नाजियों ने लाखों यहूदियों
को मार डाला तो यह एक गंभीर बात है।
संत पापा के प्रवक्ता जेस्विट फादर लोम्बार्डी
ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे वाटिकन टेलेविज़न कार्यक्रम में ' ऑक्तावा दियेस '
नामक साप्ताहिक कार्यक्रम में धर्माध्यक्ष रिचर्ड विल्यमसन के उस वक्तव्य पर टिप्पणी
कर रहे थे जिसमें उन्होंने इस बात को अस्वीकार कर दिया था कि द्वितीय विश्व युद्ध के
समय लाखों यहूदियों को मार डाला गया।
ज्ञात हो धर्माध्यक्ष विलियम्सन संत पीयुस
दसवें धर्मसमाज के उन चार सदस्य में से एक हैं जिन्हें अवैध रूप से महाधर्माध्यक्ष मारसेल
लेफेबरे ने सन् 1988 ईस्वी में धर्माध्यक्ष अभिषिक्त किया था।
धर्माध्यक्ष विलियम्सन
उस समय चर्चों में आये जब संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने उन पर लगा प्रतिबंध हटा दिया।
प्रतिबंध हटा दिये जाने से यहूदी नेता नाराज हो गये हैं। फादर लोम्बार्डी ने
बताया कि संत पापा छः लाख यहूदियों के मारे जाने को नहीं मानना या मारे जाने की घटना
को भुला दिये जाने दोनों को गलत मानते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति
ऐसी घटनाओं को भूल जाता है या उसे कोई मह्त्व नहीं देता है वह ईश्वर को भी नहीं समझता
है और क्रूस पर येसु के बलिदान को भी नहीं समझता है। अगर हम इन सवालों को नज़रअंदाज़
करते हैं तो हमारा विश्वास छिछला है।
संत पापा का कहना है कि अगर इतिहास की ऐसी
बातों को कोई आम व्यक्ति अस्वीकार करता है तो हम समझ सकते हैं पर अगर कोई चर्च का अधिकारी
इस संबंध में ऐसी ग़लती करता है तो इसे हम साधारण मामला नहीं मान सकते हैं।