भोपालः मध्यप्रदेश में ख्रीस्तीय सम्पत्ति को नियंत्रण में करने के प्रयास का विरोध
मध्यप्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग ने ख्रीस्तीय सम्पत्ति को नियंत्रण में रखने के लिये नवीन
विधान के आग्रह का निर्णय लिया जिसका ख्रीस्तीय समुदाय द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा
है।
15 जनवरी को अपनी बैठक के बाद अल्पसंख्यक आयोग ने एक वकतव्य में कहा कि नये
विधान के अन्तर्गत ख्रीस्तीय सम्पत्ति को भी उसी तरह संचालित किया जा सकेगा जिस प्रकार
सामान्य मुसलिम सम्पत्ति का संचालन होता है।
भोपाल के काथलिक महाधर्माध्यक्ष
लियो कॉरनेलियो ने इस पहल का विरोध कर कहा कि अल्पसंख्यक आयोग ख्रीस्तीय संस्थाओं की
कार्य प्रणाली से अनभिज्ञ है। उन्होंने कहा कि कलीसिया की सम्पत्ति विभिन्न न्यासों एवं
समाजों द्वारा संचालित की जाती हैं तथा सरकारी विधानों के अन्तर्गत ही उनका पंजीकरण किया
गया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि विधान के अधीन ही सभी कलीसियाई संस्थाएँ हिसाब
एवं लेखा परीक्षण के कड़े नियमों का पालन करती हैं।
महाधर्माध्यक्ष कॉरनेलियो
ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश का अल्पसंख्यक आयोग ख्रीस्तीय समुदाय के विरुद्ध
काम कर रहा है। उन्होंने कहा जिस आयोग की स्थापना अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के
लिये की गई थी उसने अपने पद पर रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
मध्यप्रदेश ईसाई
महासंघ के अध्यक्ष जेम्स एन्थोनी ने कहा कि यदि सरकार आयोग का सुझाव मानती है तो वे अदालत
तक जायेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य के अल्पसंख्यक आयोग के नियम संग्रह अधिनियम
1996 में कहा गया है कि यदि आयोग का अध्यक्ष या उसके सदस्य समुदाय के हितों के विरुद्ध
कार्य करता है या अपने पद का अनुचित लाभ उठाता है तो उसे पद से हटाया जा सकता है। "अस्तु",
उन्होंने कहा, "हम प्रकरण का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन
के लिये ईसाई महासंघ ने एक संघर्ष समिति का भी गठन किया है जिसके अध्यक्ष क्रिस्टी लूईस
अब्राहम ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे कि वे आयोग के सुझाव का बहिष्कार करें।