2009-01-17 13:23:30

दुनिया की घटना एक प्रक्रिया, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व संभव - वाइटहेड


बंगलोर, 16,जनवरी, 2009। दर्शनशास्त्रियों का विचार है कि भारत जैसे देशों में जहाँ विभिन्न धर्मावलंबी एक साथ रहा करते हैं अंग्रेज दर्शनशास्त्री अल्फ्रेड नोर्थ वाइटहेड के विचार शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
उक्त विचार उस समय व्यक्त की गयीं जब एशिया अफ्रीका यूरोप और अमेरिका के करीब 200 दर्शनशास्त्रियों ने बंगलोर में एक सेमिनार 5 से 9 जनवरी तक इस विषय पर विचार-विमर्श किया। इंगलैड के फिलोसोफर वाइटहेड ने कहा था कि दुनिया की घटनायें एक प्रक्रिया है और यह बदलता रहता है।
लोगों का विश्वास है कि कुछ सच्चाइयाँ कभी नहीं बदलतीं हैं। इस अवसर पर बोलते हुए कार्मेलाइट धर्मसमाजी फादर कुरियन कचापिली ने उकान समाचार को बताया कि वाइटहेड के दर्शन आज के धर्मो को एक नयी दिशा दे सकती है क्योंकि उनके अनुसार सत्य भी एक प्रक्रिया है जो बदलती है और धर्मावलंबी भी बदलेंगे और समाज भी बदलेगा।
ज्ञात हो इस सेमिनार की विषय वस्तु थी प्रोसेस रेलिजन एंड सोसाएटी अर्थात् प्रक्रिया धर्म और समाज।
वाइटहेड के विचारों के अनुसार प्रेम एक प्रक्रिया है और यह सबों को बदल देगी। ची के दर्शनशास्त्री फंग हुआंग फेई ने कहा कि ईसा मसीह भी एक प्रक्रिया ही है जो जिसका आरंभ ईश्वर से हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें ईश्वर को अपने जीवन में पहचानना हैं और अपने सदर्भ के अनुसार अपने मन दिल व्यवहार और मनोवृत्ति को बदलना है क्योंकि इस जीवन को हमें खुद ही सिंगारना है। यह बनी-बनायी कृति नहीं है।
85 वर्षीय अमेरिकी विद्वान जोन कोब्ब ने कहा कि शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिये यह परमावश्यक है कि हम अपना संबंध दूसरों से सौहार्दपूर्ण रखें। और यह एक प्रक्रिया है जिसे जारी रहना है।
जर्मनी के दर्शनशास्त्री हेलमुट माबेन ने कहा कि भगवान एक सहयात्री हैं और हमारे साथ यात्रा कर रहें हैं।
अगर विभिन्न धर्म के लोग इस विचार को ठीक से समझें तो भारत जैसे देश में जहाँ विभिन्न धर्मावलंबी एक साथ रहते हैं शांति के साथ जीवन यापन कर सकते हैं और सर्वधर्मसमभाव की भावना को मजबूती मिल पायेगी।








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