म्यानमारः याँगोन, तानाशाही प्रशासन ने ख्रीस्तीय एवं मुसलमान प्रार्थनाघरों पर लगाया
प्रतिबन्ध
बर्मा की सैन्य सरकार ने ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों पर दमन आरम्भ कर दिया है। तानाशाही
प्रशासन ने निजी आवासों में प्रार्थना सभाओं के आयोजन पर प्रतिबन्ध लगा दिया है तथा उन
आवासों को जब्त करने की धमकी दी है जहाँ प्रार्थनाएँ आयोजित की जाती हैं।
बर्मा
के ख्रीस्तीय एवं मुसलमान समुदायों के अनुसार सैन्य प्रशासन के धार्मिक मामलों सम्बन्धी
मंत्रालय ने एक आज्ञप्ति जारी कर आवासों के मालिकों को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के
लिये कहा है जिसमें आवासों में प्रार्थना सभाओं का आयोजन निषिद्ध है। घरों में एकत्र
होकर प्रार्थना करना या बाईबिल और कुरान पाक की तालीम प्राप्त करना वर्जित कर दिया गया
है। बताया गया कि प्रत्येक आवास मालिक को पाँच पृष्ठीय दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने पड़े
जिसमें आराधना सम्बन्धी नवीन निर्देशिका दी गई है। उल्लंघन कर्त्ताओं से उनका आवास छीन
लिया जायेगा।
एक प्रॉटेस्टेण्ट पादरी के अनुसार केवल याँगोन में ही कम से कम
50 ऐसे आवास हैं जहाँ रविवारों को प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता था किन्तु अब ऐसा
नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि विगत कुछ समय से म्यानमार की सैन्य सरकार ने धार्मिक
मामलों के लिये अचल सम्पत्ति का आबंटन समाप्त कर दिया था जिसकी वजह से निजी घरों में
प्रार्थनाओं के आयोजन के लिये ख्रीस्तीय एवं मुसलमान धर्मानुयायी बाध्य हुए थे।
म्यानमार
की 90 प्रतिशत जनता बौद्ध धर्मानुयायी है, पाँच प्रतिशत यहाँ ख्रीस्तीय तथा चार प्रतिशत
इस्लाम धर्मानुयायी हैं।