2009-01-13 12:48:29

उड़ीसा में शरणार्थी शिविरों की समाप्ति के साथ ही ख्रीस्तीयों में असुरक्षा


उड़ीसा सरकार ने शरणार्थी शिविरों को बन्द कर दिया है तथा पीड़ित ख्रीस्तीयों से उनके घरों को लौटने के लिये कहा है किन्तु ख्रीस्तीय धर्मानुयायी असुरक्षा, घृणा एवं बहिष्कार के शिकार बन रहे हैं।

फ्राँसिसकन धर्मसमाजी पुरोहित फादर नित्या ने एशिया समाचार को बताया कि सरकार ने शिविरों को बन्द कर दिया है जहाँ अगस्त माह के बाद आरम्भ ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के शिकार लगभग 50,000 ख्रीस्तीयों ने शरण ली थी तथा उन्हें दस हज़ार रुपये देकर अपने घरों को वापस लौटने का आदेश दिया है। फादर ने बताया कि लगभग सभी घर ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हैं तथा सरकार से मिला मुआवज़ा इनकी मरम्मत के लिये भी पर्याप्त नहीं है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि हिन्दु चरमपंथी वापस लौटे ख्रीस्तीयों को किसी प्रकार का रोज़गार नहीं मिलने दे रहे हैं तथा हर तरफ से उनका बहिष्कार किया जा रहा है। दस हज़ार रुपये देकर शरणार्थियों को शिविरों से निकालने के लिये फादर नित्या ने सरकार की कड़ी निन्दा की तथा कहा कि आवास, रोज़गार एवं सुरक्षा का प्रबन्ध किये बिना शरणार्थियों को उनके घर वापस भेजना वास्तव में अमानवीय है।

फादर के अनुसार केवल शहरों में सुरक्षा उपाय किये गये हैं किन्तु गाँवों में अभी भी हिन्दु चरमपंथी दहशत मचा रहे हैं।

ग़ौरतलब है कि हिन्दु चरमपंथियों द्वारा उत्पीड़ित ख्रीस्तीयों के पुनर्वास के लिये सरकार ने मात्र दस हज़ार रुपये, 50 किलो चावल तथा अपने घर की छत सुधारने के लिये पोलिथिन की एक चादर दी है।










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