भारत सरकार अल्पसंख्यकों और आतंकी हमले के प्रभावितों की रक्षा करे
परमधर्मपीठीय सुसमाचार प्रसार परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल आइवन डायस ने कहा है कि भारत
विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के लिए विख्यात है और इसी कारण से उड़ीसा और कर्नाटक
में हुए हमलों का पर्याप्त जवाब अधिकारियों को देना चाहिए। वे देश की लोकतांत्रिक और
धर्मनिरपेक्ष छवि की पुर्नस्थापना करें। 8 दिसम्बर 1958 को पुरोहित अभिषिक्त कार्डिनल
डायस ने अपने पुरोहिताभिषेक की 50 वीं वर्षगांठ का समारोह रोम में 9 दिसम्बर को मनाया।
उन्होंने कहा कि वे इस समारोह को अपनी जन्मभूमि में मनाना चाहते थे इसलिए 8 जनवरी को
मुम्बई में एक समारोही ख्रीस्तयाग में शामिल हुए जिसमें मुम्बई महाधर्मप्रांत के वर्तमान
महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ग्रेशियस भी उपस्थित थे। कार्डिनल डायस ने उड़ीसा में हुई ईसाई
विरोधी हिंसा तथा 26 नवम्बर को मुम्बई में हुए आतंकी हमले का स्मरण किया। उन्होंने इन
हिंसक घटनाओं पर संत पापा की चिंता तथा पीड़ितों के प्रति उनकी सहानुभूति और प्रार्थना
का स्मरण कराया। भारत में कलीसिया के कार्यों पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि यह निर्धनों,
बीमारों और पीडि़तों की सेवा के लिए है तथा काथलिक विद्यालय और संस्थान सबलोगों को शिक्षा
और आतिथ्य प्रदान करते हैं। कार्डिनल महोदय ने कुँवारी माता मरियम के प्रति अपनी गहन
भक्ति का स्मरण करते हुए विश्वासियों से कहा कि अत्याचार और पीड़ा सहना ख्रीस्तीय अस्तित्व
का अपरिहार्य पहचान है। कार्डिनल डायस के पुरोहिताभिषेक की 50 वीं वर्षगांठ पर कार्डिनल
ग्रेशियस ने 10 वर्षों में महाधर्मप्रांत का नेतृत्व करते हुए उनके द्वारा किये गये कार्यों
और अनेक पहलों का तथा उनके मानवीय गुणों का स्मरण किया जिनके बल पर संत पापा ने उन्हें
रोम में एक महत्वपूर्ण विभाग का अध्यक्ष बनने के लिए बुलाया। कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा
कि महानगर में हुए आतंकी हमले की याद अब भी है इस समारोह के दिन में इिस उपमहाद्वीप और
सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापना के लिए प्रार्थना करें।