अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ उड़ीसा सरकार से इस्तीफे का आग्रह
भारत के उच्चत्तम न्यायालय ने सोमवार को उड़ीसा सरकार से कहा कि यदि वह अल्पसंख्यकों
को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती तो अपना इस्तीफा दे दे।
कटक-भूबनेश्वर के काथलिक
महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत की एक याचिका पर सोमवार को उच्चत्तम न्यायालय ने अपना बयाँ
जारी किया। महाधर्माध्यक्ष ने अगस्त माह के बाद से हिन्दु अतिवादियों द्वारा आरम्भ ख्रीस्तीय
विरोधी हिंसा के मद्देनज़र न्यायालय से सुरक्षा, क्षतिपूर्ति तथा पीड़ितों के पुनर्वास
का आग्रह किया था।
महाधर्माध्यक्ष चीनत की अपील के प्रत्युत्तर में न्यायालय
ने सोमवार को उड़ीसा सरकार से कहा कि राज्य में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा को अब और सहा
नहीं जा सकता है। न्यायाधीशों ने हिंसा को उसके आरम्भिक दिनों में न रोक पाने के लिये
भी उड़ीसा सरकार की कड़ी निन्दा की।
उच्चत्तम अदालत ने सरकार को स्मरण कराया कि
राज्य के भीतर निवास करनेवाले हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करना उसका दायित्व है। इस
बात पर अदालत ने खेद व्यक्त किया कि 50,000 से अधिक ख्रीस्तीयों के जंगलों में छिपने
के बाद ही सरकार ने सुरक्षा हेतु कदम उठाये। न्यायालय ने कहा कि सरकार का दायित्व है
कि वह राज्य के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करें तथा इस बात का आश्वासन भी दे कि
उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का किसी भी तरह हनन न हो।