2009-01-01 13:21:41

नववर्ष के उपलक्षय में वाटिकन में आयोजित विभिन्न धर्मविधिक समारोहों के दौरान किये सन्त पापा के प्रवचन तथा विश्व शांति दिवस के उपलक्ष्य में प्रकाशित सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश के कतिपय अंश


वाटिकन रेडियो सुनने वाले सभी भाइयों एवं बहनों को नववर्ष सन् 2009 की हार्दिक शुभकामनाएँ। प्रभु ईश्वर की कृपा एवं उनका अनुग्रह आप पर तथा आपके परिवार पर सदा सर्वदा बना रहे। नववर्ष नई उमंगें, नवीन उत्साह, एवं नवस्फूर्ति लेकर आता है। हमारी मंगलकामना है कि यह उत्साह और यह उमंग सम्पूर्ण वर्ष के दौरान बरकरार रहे तथा आप अपने सभी कार्यों में सफलता एवं शुभ लाभ हासिल कर सुख एवं समृद्धि का आनन्द उठा सकें। ...........

नववर्ष सन् 2009 का शुभारम्भ सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ज़रूरतमन्द के प्रति एकात्मता की अपील के साथ किया। 31 दिसम्बर को नववर्ष की पूर्व सन्ध्या सन्त पापा ने सन्त पेत्रुस महामन्दिर के वैभव के बीच प्रभु ईश्वर को व्यतीत वर्ष के लिये धन्यवाद देते हुए सान्ध्य वन्दना का नेतृत्व किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने सभी से अपील की कि वे आर्थिक एवं सामाजिक संकटों से जूझते विश्व में सादगी एवं एकात्मता का वरण करें। सन्त पापा ने कहा कि यद्यपि वर्तमान काल भावी जीवन के प्रति चिन्ताओं एवं अनिश्चित्तताओं से भरा है तथापि ईश्वर में विश्वास करनेवाले भयभीत नहीं होवें बल्कि कठिनाई में पड़े अपने भाई बहनों की मदद करें। .................

पहली जनवरी को काथलिक कलीसिया ईश्वर की माता मरियम का महापर्व तथा विश्व शांति दिवस मनाती है इस उपलक्ष्य में सन्त पापा ने सन्त पेत्रुस महामन्दिर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रवचन किया। इस अवसर पर एक बार फिर सन्त पापा ने येसु मसीह की जन्मभूमि बेथलेहेम के सन्दर्भ में इसराएल एवं फिलीस्तीनी क्षेत्रों में शांति की गुहार लगाई, माता मरियम से प्रार्थना करते हुए उन्होंने कहाः ..............."इसराएली एवं फिलीस्तीनी जनता के अधिकांश लोगों के अन्तरमन से उठनेवाली शांति में जीवन यापन की इच्छा को हम मरियम के सिपुर्द करें जो एक बार फिर, हिंसा के प्रतिशोध रूप में, गज़ा पट्टी में भड़काई हिंसा के शिकार बने हैं। हिंसा, घृणा और अविश्वास भी निर्धनता के ही विभिन्न प्रकार हैं- सम्भवतः ये निर्धनता के बहुत ही भयावह प्रकार हैं- जिनका विरोध किया जाना अनिवार्य है ताकि ये सब पर हावी न हो जायें। इसराएल एवं फिलीस्तीन के काथलिकों के साथ मिलकर, विशेष रूप से गज़ा के काथलिक पल्ली वासियों के साथ मिलकर हम सब, वर्तमान एवं भविष्य की उत्कंठाओं एवं आशंकाओं को, मरियम के चरणों में रखें किन्तु इसके साथ साथ अपनी आशाओं को भी उनके सिपुर्द करें ताकि प्रज्ञा एवं दूरदर्शिता के साथ अन्यों को सुनना, उनके साथ वार्ताएं करना तथा शांति और सुरक्षा में जीवन यापन हेतु ठोस समझौते एवं ठोस नीतियों का निर्माण करना असम्भव नहीं होगा।"

ख्रीस्तयाग के उपरान्त उन्होंने सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, इससे पूर्व उन्होंने कहा, सुनें सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के शब्द.........................

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
नववर्ष के इस प्रथम दिन, आप सबके प्रति तथा रेडियो एवं टेलेविज़न के माध्यम से सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण से जुड़े विश्व के सभी लोगों के प्रति मैं नववर्ष के उपलक्ष्य में शांति और खुशहाली की हार्दिक मंगलकामनाएँ अर्पित करता हूँ। ख्रीस्तीय विश्वास की दृष्टि से देखा जाये तो ये मंगलकामनाएँ, इन दिनों मनाये जा रहे समारोहों के सन्दर्भ में, कथित तौर पर विशवसनीय हैं- कुँवारी मरियम से जन्में शब्द का देहधारण। वस्तुतः, ईशकृपा से, और केवल उसी के बल पर, हम सदैव यह आशा कर सकते हैं कि भविष्य काल अतीत से बेहतर होगा। वास्तव में इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हम अच्छी किस्मत पर भरोसा रखें, इसका अर्थ मार्केट के आधुनिक दाँव पेच पर भरोसा रखना भी नहीं है किन्तु स्वतः को आन्तरिक रूप से बेहतर बनाना है, स्वतः को और अधिक भला एवं ज़िम्मेदार बनाना है ताकि प्रभु ईश्वर के उपकारों की आशा कर सकें। और ऐसा करना हमेशा सम्भव रहता है, क्योंकि ईश्वर पुत्र के द्वारा हमसे बोले हैं और सुसमाचार के माध्यम से तथा हमारे अन्तःकरण की आवाज़ द्वारा हमसे बोलना जारी रखते हैं। येसु ख्रीस्त में, सब मनुष्यों को मुक्ति का मार्ग दिखलाया गया है, जो सबसे पहले आध्यात्मिक मुक्ति है तथापि, अखण्ड मानव को, उसके सामाजिक एवं ऐतिहासिक आयाम सहित, अपने में समेटती है।"

इसीलिये, काथलिक कलीसिया एक ओर, मरियम के दैवीय मातृत्व का महापर्व मनाने के साथ साथ, विगत चालीस वर्षों से, इस दिन विश्व शांति दिवस भी मनाती तथा येसु को शांति के राजकुमार रूप में सबके समक्ष इंगित करती है। प्रभु सेवक सन्त पापा पौल षष्टम् द्वारा आरम्भ इस नेक परम्परा के अनुकूल, मैंने, इस उपलक्ष्य में एक विशेष सन्देश की प्रकाशना की है जिसका शीर्षक हैः "शांति निर्माण हेतु निर्धनता के विरुद्ध संघर्ष"। इस प्रकार, एक बार पुनः, मानव के योग्य विश्व निकाय के प्रोत्साहन में काथलिक कलीसिया का योगदान अर्पित करते हुए मैं राष्टों के ज़िम्मेदार नेताओं तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सम्वाद करना चाहता हूँ। नववर्ष के आरम्भ में, मेरा सर्वप्रथम लक्ष्य, सरकारों तथा साधारण नागरिकों को आमंत्रित करना है कि वे कठिनाईयों एवं विफलताओं से हताश नहीं होवें बल्कि अपने कार्यों एवं अपने समर्पण को नवीकृत करें। सन् 2008 के उत्तरकाल में व्यापक स्तर पर आर्थिक संकट विश्व के सामने उभर कर आया। इस प्रकार के संकट की गम्भीरता को समझते हुए इसकी गहराई से जाँच की जाना तथा इसके कारण तक पहुँचना आवश्यक है। जैसा कि सन्त मारकुस के अनुसार येसु कहते हैं, " पुराने कपड़े पर कोरे कपड़े का पैबन्द लगाना पर्याप्त नहीं है"। निर्धनों का पहले ध्यान करने का अर्थ निर्णायक ढंग से उस विश्वव्यापी एकात्मता की ओर जाना है जिसका आवश्यक संकेत स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने दिया था और वह यह कि कानून का पालन एवं जनहित की रक्षा को सदैव ध्यान में रखते हुए मार्केट की सम्भावित क्षमता तथा नागर समाज के बीच सामन्जस्य बैठाना।

सन्त पापा ने अन्त में कहाः ...... "येसु ख्रीस्त ने निर्धनता के विरुद्ध अभियानों का आयोजन नहीं किया था, किन्तु उन्होंने, नैतिक एवं भौतिक दरिद्रता से पूर्णतः मुक्ति पाने के लिये, निर्धनों के बीच सुसमाचार का सन्देश सुनाया। अपने अनवरत जारी सुसमाचार उदघोषणा कार्य तथा जनकल्याण एवं मानव उत्थान कार्यों द्वारा कलीसिया भी यही करती है। ईश्वर का माता, कुँवारी मरियम को हम पुकारें ताकि मरियम सभी मनुष्यों को, एक साथ मिलकर, शांति के पथ पर अग्रसर होने की कृपा प्रदान करें।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। सबके प्रति नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त उन्होंने सब पर प्रभु की शांति आव्हान किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।










All the contents on this site are copyrighted ©.