2008-12-25 13:02:37

रोम शहर और सम्पूर्ण विश्व के नाम सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का ख्रीस्तजयन्ती सन्देश


सन्त पापा ने कहाः "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

प्रेरितवर सन्त पौल के शब्दों में, मैं एक बार फिर हर्षपूर्वक ख्रीस्त जन्म की उदघोषणा करना चाहता हूँ। आज "हमारे मुक्तिदाता ईश्वर की कृपा" वास्तव में "हम सब पर प्रकट हुई है"।

कलीसिया आज इसी का समारोह मनाती है। भलाई और प्रेम से समृद्ध, ईश्वर की कृपा अब और छिपी नहीं है। वह प्रकट हुई, वह देह में प्रकाशित हुई और उसने अपना मुखमण्डल दिखलाया है। कहाँ? बेथलेहेम में। कब? कैसर अगस्तुस के शासनाधीन, प्रथम जनगणना के दौरान, जिसका ज़िक्र सुसमाचार लेखक सन्त लूकस भी करते हैं। वह कौन है जो उसे प्रकट करता है? एक नवजात शिशु, कुँवारी मरियम का पुत्र। उनमें हमारे मुक्तिदाता ईश्वर की कृपा प्रकट हुई है। और इसीलिये वह बालक यहोशुवा, येसु कहलाया जिसका अर्थ हैः "ईश्वर मुक्ति दिलाते हैं"।

ईश्वर की कृपा प्रकट हुई। इसीलिये क्रिसमस प्रकाश का महापर्व है। दिन के प्रकाश की तरह नहीं जो सबकुछ को प्रकाशमान करता है बल्कि अँधेरी रात में एक टिमटिमाते तारे की तरह जो ब्रह्माण्ड के एक निश्चित्त बिन्दु से आरम्भ होकर सब तरफ फैल जाता हैः बेथलेहेम के गोशाले से, जहाँ दिव्य बालक का जन्म हुआ था। सचमुच, वे स्वयं प्रकाश हैं, जो, जैसा कि ख्रीस्तजन्म के अनेकानेक रंगचित्रों में दर्शाया गया है, सर्वत्र प्रसारित होता है। वे ऐसा प्रकाश हैं जो प्रकट होने पर निराशा को चीरता, अँधकार को हरता तथा हमें अपने जीवन एवं इतिहास का मर्म समझने में समर्थ बनाता है। प्रत्येक क्रिसमस गोशाला, जीवन के रहस्य के प्रति अपने हृदय एवं मन को खोलने हेतु एक साधारण तथापि अर्थपूर्ण निमंत्रण है। यह अमर जीवन के साथ साक्षात्कार है जो ख्रीस्तजन्म के रहस्यात्मक दृश्य में मर्त्य या मनुष्य बनेः ऐसा दृश्य जिसके दर्शन हम इस प्राँगण में तथा विश्व के असंख्य गिरजाघरों एवं प्राथनालयों में कर सकते हैं। इसके दर्शन हम उस प्रत्येक घर में कर सकते हैं जहाँ येसु की आराधना की जाती है।

ईश्वर की कृपा सब पर प्रकट हुई है। उद्धारकर्त्ता ईश्वर के मुखमण्डल में येसु ने कुछ के लिये ही स्वतः को प्रकट नहीं किया अपितु सबके लिये। यद्यपि यह सच है कि बेथलेहेम के साधारण एवं दीन गोशाले में बहुत कम लोगों ने उनका साक्षात्कार किया तथापि वे सबके लिये आयेः यहूदियों और ग़ैरयहूदियों के लिये, धनवानों और निर्धनों के लिये, दूर रहनेवाले और पास रहनवालों के लिये, विश्वासियों और ग़ैरविश्वासियों के लिये.......वे सबके लिये आये। ईश्वर की इच्छानुसार, अलौकिक कृपा प्रत्येक प्राणी के लिये है। तथापि यह आवश्यक है कि हर मनुष्य ईशकृपा को स्वीकार करे, यह आवश्यक है कि वह, मरियम की तरह, अपनी हामी भरे, ताकि उसका हृदय उस दिव्य ज्योति से प्रकाशमान हो सके। वे मरियम और योसफ ही थे जिन्होंने उस रात, अपने रेवड़ की रखवाली करनेवाले चरवाहों के साथ प्रेमपूर्वक प्रतीक्षा कर, देहधारी शब्द का स्वागत किया। दूसरे शब्दों में, एक छोटे से समुदाय ने शिशु येसु की आराधना की; वह छोटा समुदाय जो कलीसिया एवं सदभावना से परिपूरित सब मनुष्यों का प्रतिनिधित्व करता है। वह उन सबका प्रतिनिधित्व करता है जो आज भी उनकी प्रतीक्षा करते हैं, जो उन्हें अपने जीवन में खोजते हैं वे, प्रेम के कारण हमारे भाई बने, ईश्वर का साक्षात्कार करते हैं। वे सब जो अपना हृदय उनके प्रति अभिमुख रखते हैं, जो उनके मुखमण्डल को देखने के लिये तरसते हैं तथा उनके राज्य के आगमन की बाट जोहते हैं उनका साक्षात्कार करते हैं। प्रभु येसु ने स्वयं कहा है कि जो मन के दीन हैं, जो शोक मनाते हैं, जो विनम्र हैं, जो न्याय के प्यासे हैं, जो दयावान हैं, जिनका हृदय निर्मल है, जो शांति के निर्माता हैं और जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं, वे ईश्वर के दर्शन पाते हैं। वे ही येसु में ईश्वर के मुखमण्डल का दर्शन पाते तथा बेथलेहेम के चरवाहों की तरह ईशप्रेम से नवीकृत होकर चारों दिशाओं में अग्रसर होते हैं।

भाइयो एवं बहनो, आप सब जो मेरे शब्दों को सुन रहे हैं – आशा की यह उदघोषणा – क्रिसमस सन्देश का केन्द बिन्दु- सब स्त्रियों एवं पुरुषों के लिये है। येसु सबके लिये पैदा हुए थे, और जिस प्रकार मरियम ने उन्हें चरवाहों के सन्मुख रखा था उसी प्रकार कलीसिया उन्हें सम्पूर्ण मानवजाति के समक्ष रखती है ताकि प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक मानव स्थिति ईश्वर की उद्धारकारी शक्ति को जान ले, क्योंकि केवल वही बुराई को भलाई में रूपान्तरित कर सकती है, वही मानव हृदय को परिवर्तित कर सकती तथा उन्हें शांति के मरुद्यान बना सकती है।

असंख्य लोग जो अन्धकार में और मृत्यु की छाया में जी रहे हैं उन्हें ईश्वर की मुक्तिदायी कृपा की शक्ति का पता चले। बेथलेहम की दिव्य ज्योति सम्पूर्ण पवित्र भूमि में छा जाये, जहाँ क्षितिज एक बार फिर इजरायल और फिलीस्तीन के लिए निरानन्द प्रतीत होता है। वह ज्योति लेबनान, ईराक और पूरे मध्य पूर्व में प्रसारित हो। उन सब लोगों के प्रयास विपुल फल उत्पन्न करें जो संघर्ष और हिंसा की तर्कणा से हारने के बजाय प्रत्येक देश के भीतर तनाव को हल करने और स्थायी समाधान ढूँढने के लिए बातचीत के रास्ते पसंद करते हैं। रूपान्तरण और नवीकरण लानेवाली इस ज्योति की चाह अफ्रीका में, जिम्बाब्वे के लोगों को है जो दीर्घकाल से राजनीतिक और सामाजिक संकट में फँसे हैं और जो दिन ब दिन बदत्तर होता जा रहा है। इसकी चाह काँगो गणतंत्र के स्त्री पुरूषों को है, विशेष रूप से, युद्धरत किवू, डारफुर, सूडान और सोमालिया के लोगों को इसकी चाह है जो स्थिरता और शांति के अभाव में कभी न खत्म होनेवाले कष्टों का सामना कर रहे हैं। इस रोशनी की चाह, विशेष रूप से, उन देशों में रहने वाले बच्चों और अन्य सभी देशों के बच्चों को है जो मुसीबतों में पड़े हैं ताकि उनका भविष्य एक बार फिर आशा से परिपूर्ण हो सके।

जहाँ भी मानव व्यक्ति के अधिकारों और उसकी गरिमा को कुचला जा रहा है; जहाँ व्यक्तियों और समूहों के स्वार्थ जनकल्याण की भावना पर अभिभावी होते हैं; जहाँ भ्रातृहत्या, घृणा एवं शोषण को आम बात मान लिया जाता है; जहाँ परस्पर संघर्ष जातीय और सामाजिक समूहों को विभाजित करते तथा शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को अवरुद्ध करते हैं; जहाँ आतंकवादी हमले जारी हैं; जहाँ मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं की कमी है; जहाँ अनिश्चित भविष्य की आशंका बनी हुई है; सम्पन्न राष्ट्रों में भी: इन सभी स्थानों में क्रिसमस की ज्योति प्रज्वलित हो तथा सभी लोगों को एकात्मता की यथार्थ भावना से परिपूर्ण होकर अपनी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित करे। यदि लोग केवल अपने हितों की रक्षा के लिए तत्पर रहेंगे तो निश्चित रूप से हमारा विश्व टुकड़ों में विभाजित हो जायेगा।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हमारे मुक्तिदाता ईश्वर की कृपा, अपनी सारी शक्ति एवं कमज़ोरी, हमारे विकास और संकट के साथ तथा हमारी आशाओं और हमारी आकाँक्षाओं के साथ, हमारे संसार पर प्रकट हुई है। आज, येसु ख्रीस्त, सर्वशक्तिमान के पुत्र तथा कुँवारी मरियम के पुत्रः ईश्वर से उत्पन्न ईश्वर, प्रकाश से उत्पन्न प्रकाश सच्चे ईश्वर से उत्पन्न सच्चे ईश्वर की ज्योति सर्वत्र प्रकाशमान हो रही है। हम मनुष्यों के लिये और हमारी मुक्ति के लिये वे स्वर्ग से उतरे। आज, हम विश्व के हर कोने में उनकी आराधना करें, कपड़ों में लपेटे और चरनी में लेटे बालक के गुण गायें। मौन होकर हम उनकी आराधना करें, जबकि वे, शिशु मात्र होते हुए, हम सबको यह कहते सान्तवना देते प्रतीत होते हैं – "डरो मत, मैं ही ईश्वर हूँ और दूजा कोई नहीं। मेरे पास आओ, स्त्री पुरुषों, लोगों और राष्ट्रों, मेरे पास आओ। डरो मतः मैं तुम्हारे पास पिता ईश्वर का प्रेम लेकर आया हूँ और तुम्हें शांति का मार्ग दिखलाने आया हूँ।"

भाइयो एवं बहनो, तो आईए हम भी चलें। बेथलेहेम के चरवाहों के समान हम भी जल्दी करें। ईश्वर हमसे मिलने आयें हैं; उन्होंने हमें अपना मुखमण्डल दिखाया है जो दया और कृपा से परिपूर्ण है। उनका आगमन व्यर्थ न जाये। येसु को हम खोजें, उनके प्रकाश के प्रति आकर्षित होवें जो प्रत्येक मानव मन से निराशा और भय को दूर करता है। विश्वासपूर्वक हम उनके पास आयें, उनके आगे विनम्रतापूर्वक नतमस्तक होकर उनकी आराधना करें। सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ।"

तदोपरान्त, रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश जारी कर विश्व की 64 भाषाओं में ख्रीस्तजन्म की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं ....................

अन्त में सन्त पापा ने सबको अपना आशीर्वाद प्रदान किया.......









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