देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 21 दिसम्बर को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश
से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्य़टकों के साथ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देवदूत
संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व दिये गये संदेश
में कहाः-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आगमन काल के चौथे रविवार के लिए निर्धारित
सुसमाचार पाठ हमारे सामने प्रभु येसु के जन्म के संदेश दिये जाने का वृत्तांत प्रस्तुत
करता है। यह रहस्य जिसकी ओर हम प्रतिदिन लौटते हैं जब हम देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ
करते हैं। यह प्रार्थना हमें उस निर्णायक क्षण को पुनः जीने की अनुमति प्रदान करती है
जब ईश्वर ने मरियम के दिल के दरवाजे में दस्तक दिया और उनका हाँ जवाब सुनकर उनमें और
उनके शरीर में देहधारण करना आरम्भ किया। आज के ख्रीस्तयाग के दौरान कही गयी प्रार्थना
वही प्रार्थना है जिसे हम देवदूत संदेश प्रार्थना के बाद दुहराते हैं। ईश्वर हमारे दिल
को अपने प्रेम से भर दें और जैसा कि हमारे लिए अपने पुत्र को मानव के रूप में आने को
प्रकठ किया हमें उनके दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान से उनकी महिमा की और लेचल। क्रिसमस
पर्व मनाने के अब कुछ दिन ही रह गये हैं हमें आमंत्रित किया जाता है कि हम अपनी दृष्टि
को इस रहस्य पर केन्द्रित करें कि मरियम ने अपने गर्भ में ईश्वर का रहस्य जो मानव बना
इसे नौ महीने तक धारण किया। यही मुक्ति का प्रथम कोर है और दूसरा है येसु की मृत्यु एवं
पुनरूत्थान। ये दो अविच्छेदय कोर एक दिव्य योजना को प्रकट करते हैं- मानवजाति और इसके
इतिहास को बचाना, इसमें विद्यमान सब बुराईयाँ जो इसे सताती हैं इनपर पूर्ण विजय प्राप्त
करते हुए अंतिम लक्ष्य तक ले जाना।
मुक्ति इतिहास के इस ऐतिहासिक पहलू से परे
अंतरिक्षीय पहलू भी है। ख्रीस्त कृपाओं के सूर्य हैं और अपनी ज्योति से पूर्ण परिवर्तित
कर ब्रह्मांड को अपेक्षाओं से भर देते हैं। क्रिसमस पर्व शीतकालीन अयनांत से जुड़ा है।
जब उत्तरी गोलार्द्ध में दिन पुनः बड़ा होना आरम्भ होता है। इस संदर्भ में संभवतः अनेक
लोग नहीं जानेंगे कि संत पेत्रुस महामंदिर प्रांगण के मध्य स्थित विशाल स्तंभ वस्तुतः
इसकी छाया ऐसे लाइन में पड़ती है जो इस खिड़की के नीचे फौवारे तक जाती है और इन दिनों
यह छाया वर्ष की सबसे लम्बी छाया होती है। यह हमें प्रार्थना के समय निर्धारित करने में
खगोल विज्ञान के कार्य़ का स्मरण कराती है। उदाहरण के लिए देवदूत संदेश प्रार्थना सुबह,
दोपहर और संध्या में की जाती है। याम्योत्तर रेखा जो अतीत में एक व्यक्ति को वास्तव में
ठीक दोपहर होने को जानने के लिए सहायता करती थी घड़ियों के लिए मानक था। यह तथ्य कि शीतकालीन
याम्योत्तर आज के दिन 21 दिसम्बर को इसी घंटे में पड़ता है मुझे यह अवसर देता है कि उन
सब लोगों का अभिवादन करूँ जो गैलिलयो द्वारा अपनी दूरबीन के माध्यम से किये गये प्रथम
पर्यवेक्षण की चार सौ वीं वर्षगांठ समारोह के उपलक्ष्य में खगोल विज्ञान को अर्पित वर्ष
2009 के विभिन्न कार्य़क्रमों में शामिल हो रहे हैं। इस विज्ञान का अनुसरण करनेवाले वंदनीय
मेरे पूर्वाधिकारी जैसे संत पापा सिल्वेस्तर द्वितीय जिन्होंने खगोल विज्ञान का अध्यापन
किया, संत पापा ग्रेग्रोरी तेरहवें जिन्हें हमारा पंचांग समर्पित है और संत पापा पियुस
दसवें जो सौर घड़ी बनाना जानते थे का हम स्मरण करते हैं। स्तोत्रग्रंथ के रचयिता के सुंदर
शब्दों में यदि स्वर्ग ईश्वर की महिमा का बखान करता है, प्रकृति के नियम जिसे सदियों
के काल में इस विज्ञान का पालन करनेवाले असंख्य स्त्री और पुरूषों ने बेहतर समझ पाने
के लिए हमें सहायता की है ये सब हमें ईश्वर के कार्यों के प्रति कृतज्ञतापूर्वक मनन चिंतन
करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। अब हम पुनः मरियम और योसेफ पर मनन चिंतन करते
हैं जो येसु के जन्म की प्रतीक्षा करते हैं और उनसे क्रिसमस के आनन्द का स्वाद लेनेवाले
रहस्यों को पाना हम सीखते हैं। आइये हम विश्वास के साथ मुक्तिदाता का स्वागत करने के
लिए स्वयं को तैयार करें जो हमारे साथ रहने के लिए आते हैं, हर समय मानवजाति के लिए ईश्वरीय
प्रेम के शब्द।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया और सबको क्रिसमस
की शुभकामनाएँ देते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।