2008-12-17 12:49:18

रोमः काथलिक इतिहासकारों द्वारा फीनी के आरोपों का खण्डन


काथलिक इतिहासकारों का हवाला देकर वाटिकन रेडियो तथा येसु धर्मसमाजी पत्रिका ला सिविल्ता कतोलिका ने मंगलवार को इटली के दक्षिणपंथी नेता जान फ्राँको फीनी के आरोपों का खण्डन करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कलीसिया ने मुसोलीनी की जातिगत नीतियों एवं नाज़ी नरसंहार से यहूदियों के बचाव का हर सम्भव प्रयास किया था।
मुसोलीनी द्वारा सन् 1938 ई. में लागू जातिगत भेदभाव सम्बन्धी कानून की 70 वीं बरसी पर मंगलवार को आयोजित एक समारोह में बोलते हुए दक्षिणपंथी नेता तथा पूर्व फेसिस्ट जान फ्राँको फीनी ने कहा कि हमें अपने आप से प्रश्न करना चाहिये कि इताली समाज ने क्यों जातिगत भेदभाव का प्रस्ताव करनेवाले कानून का आलिंगन किया और इसका विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि दुःख की बात तो यह है कि कलीसिया ने भी इसका विरोध नहीं किया।
ग़ौरतलब है कि सन् 1938 ई. में लागू मुसोलीनी के उक्त कानून के तहत यहूदियों को सरकारी स्कूलों एवं सार्वजनिक कार्यालयों से निकाल दिया गया था और बाद में देश से निष्कासित कर नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों में भेज दिया गया था।
जान फ्राँको फीनी के आरोपों के प्रत्युत्तर में काथलिक इतिहासकारों का हवाला देकर वाटिकन रेडियो ने अपनी वेब साईट पर प्रकाशित किया कि यह सच नहीं है कि कलीसिया ने सन् 1938 ई. के विधान का विरोध नहीं किया था। कलासियाई आचार्यों का दावा है कि सन्त पापा पियुस 11 वें तथा सन्त पापा पियुस 12 वें ने यहूदियों के बचाव का हर सम्भव प्रयास किया था। रोम स्थित काथलिक विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अगोस्तीनो जोवानियोली ने कहा कि कलीसिया पर दोष लगाने का कोई कारण नहीं होना चाहिये क्योंकि कलासिया ने उक्त कानून का खुलकर और दृढ़तापूर्वक विरोध किया था। उन्होंने कहा कि सन्त पापा पियुस 11वें ने सन् 1938 ई. के जातिगत भेदभाव सम्बन्धी कानून का विरोध अपने सार्वजनिक व्याख्यानों में किया था जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मुसोलीनी की चेतावनी का भी सामना करना पडा था।
पूर्व फासिस्ट पार्टी के राजनीतिज्ञ जान फाँको फीनी, सन् 1990 में, अपने राजनैतिक दल को फेसिस्ट नीतियों के परित्याग एवं इताली राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश हेतु सहमत करने में सफल रहे थे। उन्होंने इसराएल एवं आऊश्विट्स स्थित नज़रबन्दी शिविर की भी भेंट की है।








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