2008-12-15 15:21:46

देवदूत संदेश प्रार्थना से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 14 दिसम्बर आगमन काल के तीसरे रविवार को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में एकत्र हजारों तीर्थयात्रियों, पर्य़टकों और रोम धर्मप्रांत के बच्चे बच्चियों को जो अपनी हथेलियों में शिशु येसु की प्रतिमाएँ लिये हुए थे उनके साथ संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना से पूर्व भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने इस रविवार के लिए निर्धारित धर्मग्रंथ पाठों पर चिंतन करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आगमन का यह तीसरा रविवार गाउदेते संडे कहलाता है। प्रसन्न हों क्योंकि पवित्र यूखरिस्त का प्रवेश भजन जो फिल्लिपियों के नाम प्रेरित संत पौलुस के पत्र से लिया गया है इसमें कहा गया है आपलोग प्रभु में हर समय प्रसन्न रहें। मैं फिर कहता हूँ प्रसन्न रहें। इसके तुरंत बाद प्रेरित संत पौलुस इसकी व्याख्या करते हैं प्रभु निकट हैं। आनन्द का यही कारण है लेकिन प्रभु निकट हैं कहने का क्या अर्थ है ईश्वर की इस निकटता को हम किस प्रकार से समझें। फिल्लपी के ईसाईयों को लिख रहे प्रेरित संत पौलुस वस्तुतः येसु ख्रीस्त के पुनरागमन के बारे में सोच रहे हैं और इसलिए वे उन्हें आनन्द मनाने के लिए आमंत्रित करते हैं क्योंकि येसु का पुनरागमन निश्चित है। तथापि वही संत पौलुस थेसलनिकियों के नाम अपने प्रथम पत्र में चेतावनी देते हैं कि ईश्वर के पुनरागमन के समय को कोई नहीं जान सकता है। इसलिए उन्हें हर प्रकार रे सर्तकवाद के प्रति आगाह करते हैं मानो प्रभु का पुनरागमन सन्निकट है। इस प्रकार उस समय ही कलीसिया पवित्र आत्मा से आलोकित होकर इसे अधिक से अधिक समझ सकी कि ईश्वर की निकटता स्थान और समय का सवाल नहीं है लेकिन प्रेम का प्रश्न है। प्रेम निकट है। क्रिसमस पर्व हमें हमारे विश्वास के इस मौलिक सत्य का स्मरण कराने आता है ईश्वर जो प्रेम के लिए हमें अपने समीप लाते हैं नवजात येसु के चेहरे पर मनन चिंतन करते हुए हम चरनी के सामने मसीही आनन्द का अनुभव पाते हैं। इस प्रकाश के आलोक में मेरे लिए यह यर्थाथ प्रसन्नता की बात है कि बालक येसु की प्रतिमाओं को आशीष देने की परम्परा को नवीकृत करूँ जो चरनी में रखी जाएँगी। रोम के बालक बालिकाओ, मैं विशेष रूप से आपकी ओर अभिमुख होता हूँ जो इस प्रातःकाल में अपनी हथेलियों में बालक येसु की प्रतिमा लेकर आये हैं और जिसे मैं अब आशीष देता हूँ। मैं आपको आमंत्रित करता हूँ कि आप मेरे साथ संयुक्त हों और इस प्रार्थना में शामिल हों- ईश्वर हमारे पिता, आपने मानव को इतना प्यार किया कि अपने एकलौते पुत्र येसु को हमारे लिए भेज दिया। कुँवारी माता मरिया से जन्मे वे हमें बचाने और आपके पास वापस ले जाने के लिए आये। हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आपकी कृपा से येसु जो हमारे मध्य आनेवाले हैं ये प्रतिमाएँ हमारे घरों में आपकी उपस्थिति और आपके प्रेम का चिह्न बनें। भले पिता, हमें यह भी प्रदान करें कि हमारे माता पिता, परिवारों और मित्रों पर आपकी आशीष हो। हमारे दिल को खोलें ताकि हम प्रसन्नचित दिल से येसु को ग्रहण करना जान सकें, हमेशा वही करें जो वह हमसे कहें और उन सबलोगों में उन्हें देखें जिन्हें हमारे प्रेम की आवश्यकता है। येसु आपके प्रिय पुत्र के नाम में हम यह निवेदन करते हैं जो संसार में शांति लाने के लिए आये जो सदा जीता और राज्य करता है आमेन।

इस प्रार्थना के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश का पाठ किया तथा माता मरिया की मध्यस्थता की याचना की ताकि येसु जो अपने जन्म से मानवजाति के लिए ईश्वरीय कृपा लाते हैं रोम और विश्व के हर घर में उनका स्वागत किया जाये।

देवदूत संदेश प्रार्थना के अंत में संत पापा ने सब विश्वासियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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