2008-12-10 12:18:39

वाटिकन सिटीः वार्ता यूरोपीय संघ की प्राथमिकता होनी चाहिये, बेनेडिक्ट 16वें


सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस तथ्य की पुष्टि की कि वार्ता को यूरोपीय संघ की प्राथमिकता होनी चाहिये।

यूरोपीय संघ के तत्वाधान में घोषित अन्तर-सांस्कृतिक वार्ता वर्ष के उपलक्ष्य में संस्कृति, धर्म एवं वार्ता हेतु चार दिसम्बर को सम्पन्न अध्ययन दिवस पर सन्त पापा ने अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूई तौराँ तथा संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जान फ्राँको रवासी के नाम एक सन्देश प्रेषित किया।

सन्देश में सन्त पापा ने लिखा कि वर्त्तमान यूरोप दो सहस्राब्दियों से चली आ रही सभ्यताओं का परिणाम है। इसकी जड़ें आथेन्स एवं रोम की प्राचीन धरोहरों में मूलबद्ध हैं किन्तु सबसे पहले यह ख्रीस्तीय धर्म की उर्वरक भूमि में पोषित हुआ है जो प्रत्येक सभ्यता के योगदान को ग्रहण कर नवीन सांस्कृतिक धरोहरों के निर्माण में सक्षम रहा है।

इस प्रकार, सन्त पापा ने लिखा, यूरोप उस अनमोल कालीन की तरह है जो ख्रीस्तीय सुसमाचार के सिद्धान्तों एवं मूल्यों रूपी धागों से बुनी गई है जबकि विभिन्न यूरोपीय देशों की राष्ट्रीय संस्कृतियाँ विविध परिप्रेक्ष्यों की संरचना में सफल हुई हैं जो यूरोपीय व्यक्ति के धार्मिक, बौद्धिक, तकनीकी, वैज्ञानिक एवं कलात्मक क्षमताओं को प्रकाशित करती हैं। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यूरोप सांस्कृतिक स्तर पर सम्पूर्ण मानव जाति को प्रभावित करता और इसी कारण वह अपने भविष्य के साथ साथ सम्पूर्ण मानवजाति के भविष्य के प्रति भी उत्कंठित है।

सन्त पापा ने लिखा कि जब जीवन एवं जीवन के मूल्यों की बात आती है तो अन्तरधार्मिक एवं अन्तर सांस्कृतिक सम्वाद की बात करना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि केवल विविधताओं के बीच सम्वाद से ही मानवजाति समृद्ध हो सकेगी तथा न्याय, प्रेम, मैत्री एवं शांति पर आधारित भावी विश्व का निर्माण कर सकेगी।










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