2008-12-10 13:56:33

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का 10 दिसम्बर, 2008 को दिया गया
संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभगार एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा - प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा में हम संत पौल के जीवन पर विचार करना जारी रखें। आज प्रेरित पौल हमें कलीसिया के संस्कारों के बारे में बताना चाहते हैं।

बपतिस्मा संस्कार के बारे बताते हुए संत पौल कहते हैं कि बपतिस्मा के द्वारा हम प्रभु येसु के दुःख और मृत्यु में सम्मिलित होते हैं।

इसके द्वारा हमें येसु में एक नया जीवन पाते हैं। संत पौल कहते हैं कि हम जब बपतिस्मा ग्रहण करते हैं तो हम पवित्र आत्मा से पवित्र किये जाते हैं और हम येसु को धारण कर लेते हैं। हम इसके द्वारा एक नयी सृष्टि बन जाते हैं। इसके द्वारा हमारा जीवन येसुमय हो जाता है। हम येसु के अंग बन जाते हैं।

संत पौल यूखरिस्त संस्कार के बारे में बताते हुए करते हैं कि पूरी कलीसिया का जीवन इसी पवित्र संस्कार पर आधारित है।

जिस संस्कार को येसु ने अपने चेलों को दिया और चेलों ने आरंभिक ईसाई समुदाय को दिया और आज भी ख्रीस्तीय इसे वैसा ही करते हैं जैसा प्रभु ने करने को कहा।

आज भी ख्रीस्तीय यूखरिस्तीय समारोह में रोटी और दाखरस को खाते और पीते हैं जो येसु के बदन और लोहु का प्रतीक है।

ऐसा करने के द्वारा हम न केवल येसु के दुःखभोग की याद करते हैं बल्कि उस स्वर्गीय भोज का आनन्द लेते हैं जिसकी हम बाँट जोह रहे हैं।

यूखरिस्तीय संस्कार के बारे में संत पौल ने एक और बात बतायी है। उनके अनुसार येसु मसीह काथलिक कलीसिया के दुल्हे हैं। और इस प्रकार येसु और कलीसिया का संबंध बहुत ही घनिष्ठ है।

आज हम संत पौल की शिक्षा के द्वारा येसु के करीब आये और येसु और कलीसिया के प्रति अपने प्यार को मजबूत करें ताकि हमें सदा ही अनन्त जीवन का जल प्राप्त होता रहे और लोगों के कल्याण के लिये अपना जीवन जी सकें।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अंग्रेजी भाषा-भाषी तीर्थयात्रियों और उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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