2008-12-03 12:49:02

समलैंगिकों के विरुद्ध भेदभाव पर वाटिकन का स्पष्टीकरण


वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने स्पष्ट किया कि, मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के विपरीत, परमधर्मपीठ समलैंगिकों के विरुद्ध भेदभाव का विरोध करती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे द्वारा इताली समाचार को दी एक भेंटवार्ता के प्रकाशित होने के बाद इताली मीडिया में यह कहा गया था कि वाटिकन समलैंगिको के विरुद्ध भेदभाव के पक्ष में है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा था कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ में फ्रान्स के उस प्रस्ताव को समर्थन नहीं देंगे जिसमें समलैंगिकता के निरअपराधीकरण की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का प्रस्ताव समलैंगिकता के निरअपराधीकरण के साथ साथ समलिंगकामियों के बीच कथित विवाह को, कानून में शामिल करने के लिये देशों को बाध्य कर सकता है तथा पारम्परिक विवाह एवं परिवार को क्षति पहुँचा सकता है।

फादर लोमबारदी ने कहा कि उक्त प्रस्ताव को समर्थन न देने का अर्थ समलैंगिकों के विरुद्ध भेदभाव को समर्थन देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी समलैंगिकों के लिये प्राणदण्ड नहीं चाहता जैसा कि कुछेक लोगों ने संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों के सम्मान तथा हर प्रकार के भेदभाव के बहिष्कार का पाठ सिखाती है।

स्मरण रहे कि कुछेक इस्लामी राष्ट्रों में समलिंगकामी सम्बन्धों के लिये प्राणदण्ड की भी व्यवस्था है। काथलिक कलीसिया प्राण दण्ड का विरोध करती है।

फ्रान्स के उक्त प्रस्ताव के बारे में फादर लोमबारदी ने कहा कि प्रस्ताव केवल समलैंगिकता के निरअपराधीकरण की बात नहीं करता अपितु वह राजनैतिक स्तर पर महत्व रखनेवाली घोषणा की प्रस्तावना करता है जिसके परिणामस्वरूप उन लोगों के अधिकारों का हनन हो सकता है जो, उदाहरणार्थ, एक पुरुष एवं एक स्त्री के बीच विवाह को मान्यता देते हैं।

इसके अतिरिक्त फादर लोमबारदी ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि वाटिकन एकमात्र राष्ट्र नहीं है जो उक्त प्रस्ताव का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह कोई इत्तेफ़ाक नहीं है कि 50 सदस्य देश इस प्रस्ताव को समर्थन दे रहे हैं जबकि 150 देशों ने इसे समर्थन न देने से इनकार कर दिया है।








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