2008-12-01 12:37:24

देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार 30 नवम्बर को काथलिक कलीसिया ने आगमन कालीन प्रथम रविवार से नव धर्मविधिक वर्ष का शुभारम्भ किया। प्रति रविवार की तरह इस रविवार को भी रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना के लिये एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपना सन्देश दिया। देवदूत प्रार्थना से पूर्व भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज, आगमन काल के पहले इतवार के साथ, हम नया धर्मविधिक वर्ष आरम्भ कर रहे हैं। य़ह तथ्य हमें समय के आयाम पर चिन्तन हेतु आमंत्रित करता है जो मनुष्य के महान आकर्षण का केन्द्र रहा है। येसु क्या करना पसन्द करते थे उसका उदाहरण ग्रहन कर, मैं एक बहुत ही ठोस अनुभव के वर्णन से अपना चिन्तन आरम्भ करना चाहूँगाः हम सब कहते रहते हैं कि मेरे पास समय नहीं है क्योंकि दैनिक जीवन की लय हम सब के लिये तेज़ रफ्तार की हो गई। इसके बारे में भी कलीसिया के पास एक शुभसमाचार है और वह यह कि ईश्वर हमें अपना समय देते हैं। हमारे पास सब समय कम समय होता है। विशेष रूप से प्रभु के लिये हमारे पास बहुत कम समय होता है, हम नहीं जानते कि उन्हें कैसे खोजें, या फिर, कभी कभी, हम उन्हें ढूँढ़ना नहीं चाहते हैं। इसके बावजूद ईश्वर के पास हमारे लिये सदैव समय रहता है।

सन्त पापा ने कहाः "यह वह पहली चीज़ है जिसकी पुनर्खोज हम आश्चर्य के साथ नये धर्मविधिक वर्ष में करते हैं। जी हाँ, ईश्वर हमें अपना समय देते हैं, क्योंकि वे, अपने वचनों एवं मुक्ति के कार्यों द्वारा, इतिहास में प्रवेश कर चुके हैं, उसका द्वार अनन्त काल तक खोलने के लिये ताकि उसे सम्विदा के इतिहास में परिणत कर दें। इस परिप्रेक्ष्य में, समय अपने आप में ईश्वर के प्रेम का आधारभूत चिन्ह है। यह ऐसा वरदान है जिसे, मनुष्य, हर अन्य वस्तु के सदृश, महत्व दे सकता, या फिर, इसके विपरीत, इसका अपव्यय भी कर सकता है, वह इसकी अनमोलता को पहचान कर इसकी सराहना कर सकता, या फिर, कुंठित सतहीपन के साथ इसकी अवहेलना भी कर सकता है।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "मुक्ति कार्य को विस्तृत करनेवाले समय के तीन महान कब्ज़े हैं, अर्थात्, आरम्भ में है सृष्टि, बीच में है देहधारण एवं मुक्ति कार्य और अन्त में "पुनरागमन", अर्थात् अन्तिम आगमन जिसमें विश्व का न्याय भी शामिल है। तथापि इन तीन क्षणों को मात्र एक के बाद होनेवाली साधारण कालक्रमिक घटनाएं न माना जाये। वास्तव में, यह सच है कि सृष्टि सब कुछ का आरम्भ बिन्दु है किन्तु वह अनवरत जारी रहता है तथा काल के अन्त तक, ब्रहमाण्डीय संभवन के दौरान कार्यान्वित होते रहता है। इसी प्रकार, देहधारण और मुक्ति कार्य भी इतिहास के एक निर्णायक समय में पूरा हुआ तथापि, इस धरती पर येसु के पारगमन की किरणें उनके आने से पूर्व तथा उनके चले जाने के बाद के समय को भी प्रकाशित करती हैं। अस्तु, उनका पुनरागमन एवं अन्तिम न्याय प्रत्येक युग के मनुष्य के आचार व्यवहार पर अपना प्रभाव छोड़ता है, जिसका पूर्वाभास ख्रीस्त के क्रूस में निर्णायक ढंग से मिला था।"

उन्होंने कहाः .... "धर्मविधिक आगमन काल ईश्वर के आने के दो महत्वपूर्ण क्षणों का समारोह मनाता हैः सर्वप्रथम, यह हमें ख्रीस्त के महिमामय पुनरागमन की प्रत्याशा के प्रति जाग्रत होने के लिये आमंत्रित करता है; फिर, ख्रीस्तजयन्ती के निकट जाते जाते, हमारी मुक्ति के लिये, मानव बने शब्द के स्वागत हेतु यह हमारा आव्हान करता है। सच तो यह है कि प्रभु अनवरत हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं। इस दृष्टि से, प्रभु का आव्हान कितना उपयुक्त, कितना संगत है? जो पहले से कहीं अधिक ज़ोरदार ढंग से इस इतवार के सुसमाचार में प्रस्तावित हैः "जागते रहो"। यह शिष्यों को सम्बोधित है किन्तु हममें से प्रत्येक को भी, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति, उस घड़ी जिसे केवल ईश्वर जानता है, अपने जीवन का हिसाब देने के लिये बुलाया जायेगा। यह सांसारिक वस्तुओं से निर्लिप्तता की मांग करता है, यह अपनी ग़लतियों के लिये, निष्कपट हृदय से, पछतावे की मांग करता, यह पड़ोसी के प्रति सक्रिय उदारता की मांग करता और, सबसे महत्वपूर्ण, विनम्रता एवं विश्वास के साथ स्वतः को, हमारे सुकोमल एवं करूणावान पिता, ईश्वर के हाथों के सिपुर्द कर देने की मांग करता है।"

अन्त में सन्त पापा ने कहाः "पवित्र कुँवारी मरियम आगमन काल की प्रतिमा हैं। उन्हें हम पुकारें ताकि आनेवाले प्रभु के लिये मानवजाति के प्रवर्द्धन बनने में वे हमारी सहायता करें।"

इस प्रकार, सबसे प्रार्थना का अनुरोध करने के बाद, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया -------------------------------------------------------------

देवदूत प्रार्थना के बाद सन्त पापा ने मुम्बई में विगत सप्ताह आतंकवादी आक्रमण तथा नाईजिरिया में हिंसा के शिकार लोगों के लिये विशेष प्रार्थना का आव्हान करते हुए कहाः .............. " मुम्बई में किये गये बर्बर आतंकवादी आक्रमण तथा नाईजिरिया के जोस नगर में भड़की हिंसा में मारे गये, घायल हुए तथा किसी भी प्रकार से प्रभावित लोगों के लिये मैं आप सबको प्रार्थना करने के लिये आमंत्रित करता हूँ। इन त्रासदिक हादसों के कारण एवं परिस्थितियाँ भले ही अलग-अलग हैं तथापि इस प्रकार की क्रूर एवं निरर्थक हिंसा की भयावहता एवं इनके भड़कने का निरनुमोदन एक समान होना चाहिये। प्रभु से हम, उन लोगों के हृदयों का स्पर्श करने की, याचना करें जो झूठ-मूठ में यह विश्वास कर लेते हैं कि यह स्थानीय या अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने का मार्ग है। साथ ही हम सब विनम्रता एवं प्रेम का उदाहरण देने के लिये प्रोत्साहित होवें ताकि ईश्वर एवं मानव के लायक समाज का निर्माण कर सकें।"











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