2008-11-29 14:16:01

विश्वनाथ प्रताप सिंह थे ईमानदारी, करिश्माई व्यक्तित्व और आक्रामक छवि वाले नेता


नई दिल्ली, 28 नवम्बर, 2008। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की मृत्यु गुरुवार 27 नवम्बर को लम्बी बीमारी के बाद नयी दिल्ली अस्पताल मे हो गयी। वे लुकेमिया से पीड़ित थे। उनका आयू 77 थी। शनिवार 29 नवम्बर को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आजादी के बाद भारतीय राजनीति में गिनती के उन राजनेताओं में शामिल रहे हैं जो ईमानदारी, करिश्माई व्यक्तित्व और आक्रामक छवि के साथ सत्ता के शिखर तक पहुंचे और आवाम हित के मुद्दों को दृढ़तापूर्व उठा कर देश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के सूत्रधार बने।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बन कर दस्यु उन्मूलन, केंद्र के वित्तमंत्री रहते हुए अपनी ही पार्टी के समर्थक उद्योगपतियों के यहां छापे मरवाने, रक्षामंत्री के रूप में अपने ही प्रधानमंत्री पर बोफोर्स तोप सौदे में दलाली खाने का आरोप लगाने और फिर वामपंथी तथा दक्षिणपंथी राजनीति के संगम पर डुबकी लगाकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के बाद मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कर सिंह ने भारतीय राजनीति में जो तूफान खड़ा किया, उसने उन्हें देश के हर चूल्हे-चौकी तक चर्चित राजनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
नेहरू युग में इलाहाबाद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सिंह ने जमीन पर खड़े होकर ईमानदारी को पंख बनाया और फिर धीरे-धीरे राजनीतिक आकाश की तरफ उड़ने लगे। केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी ईमानदार छवि को महत्व देते हुए उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय स्तर का नेता बना दिया।
वीपी सिंह सही मायने में झुग्गी-झोंपड़ी, रिक्शा चालक, भूमिहीनों, दलितों, पिछड़ों और पीड़ितों की आवाज थे और उन्होंने हमेशा इसी वर्ग के हितों की लड़ाई लड़ी। जब भी कमजोरों के हितों की लड़ाई की बात आएगी तो वीपी सिंह प्रासांगिक बने रहेंगे।








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