नई दिल्लीः सन् 1992 में एक धर्मबहन की हत्या के लिये दो पुरोहितों एवं एक धर्मबहन की
गिरफ्तारी पर भारतीय कलीसिया को आशंका
केरल में कोट्टायम के महाधर्माध्यक्ष मैथ्यु मोलेकट्ट ने एक प्रेरितिक पत्र जारी कर सि.
अभया की हत्या के आरोप में गिरफ्तार दो पुरोहितों एवं एक धर्मबहन का बचाव किया है तथा
धर्मप्रान्तवासियों से अनुरोध किया है कि वे प्रार्थना करें ताकि, हत्या के जाँचकर्त्ता,
असली हत्यारों का पता लगा सकें।
27 मार्च 1992 को कोट्टायम स्थित सन्त पियुस
काथलिक आश्रम के कुँए से सि. अभया का मृत शरीर पाया गया था। घटना के 16 वर्षों बाद पुलिस
ने 18 नवम्बर को फादर थॉमस कोट्टूर, फादर जोस पुथरुकाईल तथा सि. सेफी को हत्या के आरोप
में गिरफ्तार किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार हत्या के समय प्राप्त सभी प्रमाण
जाँचपड़ताल के प्रथम चरण में ही नष्ट कर दिये गये थे। पहले पुलिस ने कहा था कि सि. अभया
ने आत्महत्या की थी किन्तु 1996 में इसे हत्या बताकर जाँच आरम्भ की थी। पुलिस ने कलीसिया
पर अपराधियों के बचाव का भी आरोप लगाया है।
महाधर्माध्यक्ष मैथ्यु मोलेकट्ट का
कहना है कि उन्होंने सन 1992 में कहा था कि सि. अभया ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी
हत्या की गई थी जबकि पुलिस मानने को तैयार नहीं थी और अब प्रारम्भिक प्रमाणों को नष्ट
करने के बाद पुलिस कलीसिया को उत्पीड़ित कर रही है।
सिरोमलाबार कलीसिया के प्रवक्ता
फादर पौल थेलाकट्ट ने एशिया समाचार से कहा कि कलीसिया जाँचपड़ताल के विरुद्ध नहीं है
किन्तु हाल में दो पुरोहितों एवं एक धर्मबहन की गिरफ्तारी पर उसे आशंका है। उन्होंने
कहा कि सन् 1992 से आज तक कम से कम पाँच सी.बी.आई. दलों ने हत्या की जाँच की है तथा किसी
भी दल ने इस प्रकार की गिरफतारी का आधार नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि न्यायिक निकाय
पर उनका भरोसा है तथा वे आशा करते हैं कि असली हत्यारों को शीघ्र ही पकड़ा जा सकेगा तथा
पुरोहितों एवं धर्मबहन को निर्दोष साबित किया जा सकेगा।